इनकम टैक्स से जुड़े ये नियम 1 अप्रैल से बदल जाएंगे
क्या है खबर?
1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष 2023-24 शुरू होगा और इसी के साथ इनकम टैक्स से जुड़े कई नियम बदल जाएंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को वार्षिक बजट में की गई घोषणाएं वित्त वर्ष 2023 के शुरू होते ही लागू हो जाएंगी और ये अगले साल 31 मार्च तक चलेंगी।
चलिए इनकम टैक्स से जुड़े नए नियमों से से होने वाले बड़े बदलावों के बारे में जानते हैं।
टैक्स
डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम और LTA से जुड़े नियम
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषित किया था कि नई टैक्स व्यवस्था डिफ़ॉल्ट व्यवस्था होगी। इसका मतलब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय कोई व्यक्ति यह नहीं बताता है कि पुरानी या नई दोनों में से कौन-सी व्यवस्था तहत वह ITR फाइल कर रहा है तो ऐसी स्थिति में नया टैक्स सिस्टम डिफाल्ट रहेगा।
छुट्टी यात्रा भत्ता नकदीकरण (LTA) सीमा, जो 2002 में 3 लाख रुपये थी, अब बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है।
बीमा
टैक्स छूट सीमा और जीवन बीमा से होने वाली आय पर टैक्स
इनकम टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि जिस व्यक्ति का वार्षिक वेतन 7 लाख रुपये तक या इससे कम है, उसे अब इनकम टैक्स में छूट का दावा करने के लिए निवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी।
दूसरी तरफ 5 लाख के वार्षिक प्रीमियम से अधिक जीवन बीमा प्रीमियम से होने वाली आय पर टैक्स लगेगा।
आयकर
इनकम टैक्स स्लैब की नई दरें
इनकम टैक्स स्लैब की नई दरों के हिसाब से 3 लाख रुपये तक सालाना वेतन पर टैक्स शून्य है। 3 लाख से 6 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा।
6 से 9 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा।
जानकारी
मानक कटौती
पुरानी व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये की कटौती अपरिवर्तित रहेगी। नई व्यवस्था में अब यह सुविधा बढ़ा दी गई है और इससे 5.15 लाख या अधिक की वार्षिक आय वाले वेतनभोगी व्यक्ति को 52,500 रुपये का लाभ होगा।
वरिष्ठ
वरिष्ठ नागरिकों को लाभ और फिजिकल गोल्ड कंवर्जन के नियम
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत अधिकतम जमा सीमा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये और मासिक आय योजना की जमा सीमा (एकल और संयुक्त खाते के लिए क्रमशः) 4.5 लाख से 9 लाख और 7.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख कर दी गई है।
दूसरी तरफ फिजिकल गोल्ड कन्वर्जन के मामले में अगर फिजिकल गोल्ड को इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट (EGR) या इसके विपरीत में बदला जाता है तो कोई कैपिटल टैक्स गेन नहीं होगा।
डिबेंचर
म्यूचुअल फंड से संबंधित नियमों में भी बदलाव
म्यूचुअल फंड में निवेश पर मौजूदा लॉन्ग-टर्म पूंजीगत लाभ की बजाय शॉर्ट-टर्म पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि निवेशकों को अब लंबी अवधि के टैक्स लाभ नहीं मिलेंगे।
1 अप्रैल के बाद मार्केट लिंक्ड डिबेंचर्स (MLDs) में निवेश अल्पकालिक पूंजीगत संपत्ति होगी। इससे पहले के निवेश की ग्रैंडफादरिंग खत्म हो जाएगी। जानकारों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर इस तरह के कदम का 'थोड़ा नकारात्मक' असर होगा।