
एशिया के विकासशील देशों में सिर्फ भारतीय मुद्रा हो रही कमजोर- रिपोर्ट
क्या है खबर?
भारतीय रुपया विकासशील एशियाई देशों की एकमात्र ऐसी मुद्रा है जिसमें इस तिमाही गिरावट देखी गई है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले छह सालों में सबसे कमजोर स्थिति में पहुंच गई है।
ऐसे में भारतीय मुद्रा में गिरावट आगे भी जारी रह सकती है। रुपया अब तक जुलाई के उच्चतम स्तर से पांच फीसदी लुढ़क गया है।
सार्वजनिक कर्ज और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में नकदी की कमी के कारण रुपया दबाव में है।
चुनौती
अर्थव्यवस्था के सामने हैं ये बड़ी चुनौतियां
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में विकास दर में कमी बड़ी चिंता है। इसके साथ राजकोषीय जोखिम से रुपया और कमजोर होगा। कमजोर विकास दर की वजह से नकदी के प्रवाह में कमी आएगी, जो मुद्रा पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
भारत की विकास दर पिछली तिमाही में 4.6 फीसदी रही थी, जो 2013 के बाद से सबसे निचले स्तर पर है। भारतीय स्टेट बैंक ने विकास दर में और गिरावट का अनुमान जताया था।
रेटिंग
मूडीज ने घटाई थी अर्थव्यवस्था की रेटिंग
इस महीने रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर 72.24 के स्तर पर पहुंच गया। मंदी के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका इसी महीने की शुरुआत में लगा, जब ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग को 'स्थिर' से घटाकर 'नकारात्मक' कर दिया था।
एजेंसी ने भारत के बजट घाटा को मार्च 2020 तक 3.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो सरकार के 3.3 फीसदी के लक्ष्य से नीचे है।
अर्थव्यवस्था
विकास दर पर मंडरा रहा खतरा- मूडीज
मूडीज ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर पर मंडराते खतरे के कारण उसने रेटिंग कम की है।
एजेंसी ने कहा कि भारत द्वारा आर्थिक और संस्थानिक मोर्च पर लंबे समय से चली आ रही कमजोरियों को दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदम उसके अनुमान से कम है।
मूडीज के इस फैसले से पहले S&P ग्लोबल ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते जोखिम की तरफ ध्यान दिलाया था।
वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय ने जारी किया था बयान
मूडीज की इस रिपोर्ट पर वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर प्रतिक्रिया दी थी। मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है और दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले यह कम प्रभावित है।
इससे पहले अक्टूबर में मूडीज ने 2019-20 में भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया था। पहले उसने विकास दर 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई थी।
अर्थव्यवस्था
कई संस्थाओं ने घटाया अनुमान
बता दें कि आर्थिक वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में भारत की विकास दर गिरकर 5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
इस मंदी का ऑटो सेक्टर में गहरा असर देखने को मिला था। गाड़ियों की बिक्री और उत्पादन में आई कमी के कारण लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी थी।
आर्थिक मंदी को देखते हुए मूडीज के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और विश्व बैंक ने भारत की विकास दर का अनुमान घटाया था।