पिछले 5 बजट में मोदी सरकार ने आयकर में किए ये बड़े बदलाव

मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में आयकर पर छूट की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है। योजना से मध्य वर्ग के लाखों लोगों को फायदा होगा। घोषणा से सरकार मध्य वर्ग के मतदाताओं को साधना चाहती है, जिनमें यह भावना है कि सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया। ये पहली बार नहीं है और पिछले 5 बजटों में सरकार टैक्स नियमों में कई बदलाव कर चुकी है। आइए जानते हैं इनके बारे में।
मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में करदाताओं को खुश करते हुए राहत दी थी। सरकार ने 2014-15 बजट में आयकर सीमा पर छूट को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया था। 60 से 80 साल तक के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई थी। सरकार ने होम लोन के ब्याज पर लगने वाले टैक्स की सीमा को भी 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया था।
2015-16 बजट में सरकार ने संपत्ति कर को खत्म कर दिया था। लेकिन इसी के साथ 1 करोड़ से ऊपर की कमाई करने वाले लोगों पर टैक्स सरचार्ज की दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया था। राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (NPS) की तरफ लोगों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने सेक्शन 80C के तहत अतिरिक्त 50,000 की छूट दी थी। इसके अलावा परिवहन भत्ते की सीमा को 800 से बढ़ाकर 1,600 रूपए कर दिया गया था।
2016-17 बजट में सरकार ने 1 करोेड़ से ऊपर की कमाई करने वाले लोगों पर टैक्स का बोझ और बढ़ाते हुए टैक्स सरचार्ज की दर को 12 से 15 प्रतिशत कर दिया था। 5 लाख से कम की आमदनी वाले लोगों के लिए टैक्स छूट को 2,000 रूपए से बढ़ाकर 5,000 कर दिया गया था। किराए पर रह रहे ऐसे लोगों के लिए, जिन्हें भत्ता नहीं मिलता, सरकार ने टैक्स छूट को 24,000 रुपए से बढ़ाकर 60,000 कर दिया था।
2017-18 बजट में सरकार ने बड़ा ऐलान करते हुए 2.5 लाख से 5 लाख तक की आमदनी पर टैक्स रेट को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था। इससे इस सीमा में आने वाले करदाताओं को 12,500 रुपए का लाभ हासिल हुआ। हालांकि 50 लाख से 1 करोड़ के बीच कमाने वाले लोगों पर सरकार ने बोझ बढ़ा दिया और टैक्स सरचार्ज के रेट को बढ़ा कर 10 प्रतिशत कर दिया था।
मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट मिला-जुला रहा। एक तरफ सरकार ने मेडिकल अदायगी और परिवहर भत्ते पर मिलने वाले टैक्स लाभों को खत्म कर दिया। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने वेतनभोगी वर्ग और पेंशन के लाभार्थियों को टैक्स में 40,000 रूपए की छूट प्रदान की। सेस दर को भी बढ़ाकर 3 से 4 प्रतिशत कर दिया गया। देश को आखिरी बजट में अन्य लाभों की भी उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने कोई बड़ी घोषणा नहीं की।