सच हो सकता है पृथ्वी से अंतरिक्ष तक लिफ्ट लगाने का सपना, खास एलिमेंट की तलाश
कैसा हो अगर धरती से अंतरिक्ष में जाने के लिए किसी ताकतवर रॉकेट की जरूरत ना पड़े और लिफ्ट में बैठकर ऐसा किया जा सके। करीब 127 साल पुराने इस विचार पर अब भी काम चल रहा है और इससे जुड़ी संभावनाएं एक खास तरह के सुपरमैटीरियल या फिर एलिमेंट की तलाश पर टिकी हैं। यह सुपरमैटीरियल ही स्टेशन को धरती की सतह से जोड़ेगा, जिसके अंदर से होकर एलिवेटर या लिफ्ट धरती से अंतरिक्ष तक जाएगी।
अंतरिक्ष तक पहुंचाने वाले एलिवेटर का कॉन्सेप्ट
पृथ्वी की सतह को इसकी कक्षा में स्थित स्टेशन से जोड़ने के लिए खास तरह का टेथर या सिस्टम तैयार करने का कॉन्सेप्ट बेहद अनोखा है। माना जा रहा है कि हमारे ग्रह का घूर्णन इस टेथर को मजबूत रखेगा और 'क्लाइंबर्स' के इस सिस्टम की मदद से अंतरिक्ष यात्रियों और पेलोड्स का ट्रांसपोर्ट आसानी से किया जा सकेगा। हालांकि, इस सिस्टम की इंजीनियरिंग से जुड़ी चुनौतियां और इसपर आने वाला खर्च बहुत ज्यादा है।
अब तक चल रही है मजबूत मैटीरियल की तलाश
कॉन्सेप्ट के सामने सबसे बड़ी चुनौती इतना मजबूत मैटीरियल या एलिमेंट खोज निकालने की है, जिसके साथ यह टेथर तैयार किया जा सके। अब तक कोई भी ऐसा मैटिरियल सामने नहीं आया है, जो इस स्तर के तनाव को झेल पाए। हालांकि, यह चुनौती दूर हो सकती है और इंटरनेशनल स्पेस एलिवेटर कॉन्ट्रियम (ISEC) एक नए कॉस्ट इफेक्टिव मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस पर काम कर रही है। इस स्ट्रक्चर के लिए ग्रेफीन रिबन्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
2D मैटीरियल साइंटिस्ट ने मैटीरियल पर रिसर्च
ISEC वैज्ञानिकों की ओर से उनकी नई फाइडिंग्स 22 इंटरनेशन एस्ट्रोनॉमिकल कांग्रेस में प्रेजेंट की जाएंगी। रिसर्च लीड करने वाले एड्रिएन निक्सन ग्रेफीन और 2D मैटीरियल्स साइंटिस्ट और रॉयल सोसाइटी ऑफ कैमिस्ट्री मेंबर हैं। उनके साथ ISECIBM के वाइस प्रेसिडेंट और स्टैंडर्ड लीनियर एक्सेलेरेटर सेंटर (SLAC) के पूर्व रिसर्चर भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने हैं। रिसर्च के परिणाम तय करेंगे कि अंतरिक्ष तक एलिवेटर बनाने का सपना वाकई सच हो सकता है या नहीं।
मजबूती के पैमाने पर खरे नहीं उतरते मौजूदा मैटीरियल्स
टेथर के लिए एक ऐसे मैटीरियल की जरूरत है, जो ना सिर्फ मजबूत हो बल्कि हल्का भी हो। दूसरे कृत्रिम मैटीरियल्स जैसे कैवलार वर्टिकल लेंथ में करीब 200 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही टिक सकते हैं। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में कार्बन नैनोट्यूब्स (CNTs) के साथ भी प्रैक्टिकल डिजाइन तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा सिंगल क्रिस्टल ग्रेफीन, बोरोन नाइट्राइड नैनोट्यूब्स और डायमंड नैनोथ्रेड्स जैसे विकल्प भी हैं।
करीब 127 साल पुराना है यह कॉन्सेप्ट
धरती से अंतरिक्ष तक लिफ्ट लगाने का विचार कई दशक नहीं, बल्कि एक सदी से ज्यादा पुराना है। स्पेस एलिवेटर कॉन्सेप्ट के संकेत रूसी रॉकेट वैज्ञानिक कोन्सेटेंटिन त्सिलकोवस्की (1857-1935) की ओर से भी दिए गए थे। बता दें, कोन्सेटेंटिन की ओर से 'रॉकेट इक्वेशन' डिवेलप की गई और ऐसा रॉकेट डिजाइन तैयार किया गया, जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष एजेंसियां आज भी करती हैं। कई साइंस फिक्शन फिल्मों में भी ऐसा कॉन्सेप्ट देखने को मिल चुका है।