चंद्रयान-2 मिशन को लेकर NASA के पूर्व अंतरिक्ष यात्री ने कही यह बड़ी बात
क्या है खबर?
भले ही भारत के चंद्रयान-2 मिशन को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता नहीं मिली है, लेकिन यह भविष्य के मिशनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
यह बात NASA के एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंजर ने कही है।
लॉ अर्थ ऑर्बिट में रूस के स्पेस स्टेशन मीर में पांच महीने बिताने वाले जेरी ने कहा कि निराश होने वाली बात नहीं है। भारत बहुत, बहुत मुश्किल प्रयास करने जा रहा था, लेकिन दुर्भाग्यवश यह सफल नहीं हो सका।
बयान
भविष्य के मिशनों में मिलेगी मदद- जेरी
जेरी ने कहा, "अगर यह लैंड कर जाता और उसके बाद काम नहीं करता फिर भी यह बहुत मददगार साबित होता। ऐसा होने से राडार एल्टीमीटर और लेजर को परखा जा सकता था, लेकिन अगर आप बड़ी तस्वीर को देखें तो यह भविष्य के मिशन के लिए बहुत फायदेमंद होगा।"
पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी ने कहा कि कुल मिलाकर यह मिशन बहुत सफल हुआ है। ऑर्बिटर अगले साल तक जरूरी सूचनााएं ISRO तक पहुंचाता रहेगा।
बधाई
जेरी ने मुश्किल प्रयास के लिए दी ISRO को बधाई
लेरी ने ISRO को इस मुश्किल लैंडिंग का प्रयास करने के लिए बधाई देते हुए कहा, "मैं ISRO के इस हिम्मत भरे प्रयास से सीखे सबक के आधार भविष्य में लैंडिंग को सफल होते हुए देखना चाहूंगा।"
बता दें कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था।
यह 14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ था। इसे शनिवार रात को चांद की सतह पर उतरना था।
जानकारी
लैंडिंग से 90 सेकंड पहले टूटा संपर्क
ISRO प्रमुख के सिवन ने कहा कि विक्रम लैंडर सही रास्ते पर आगे बढ़ रहा था, लेकिन लैंडिंग से 2.1 किमी पहले उसका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया। जिस वक्त संपर्क टूटा, उसके 90 सेकंड बाद इसकी लैंडिंग निर्धारित थी।
मिशन
सही तरीके से काम कर रहा ऑर्बिटर
ISRO के एक वैज्ञानिक ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, "मिशन का केवल पांच फीसदी नुकसान हुआ है। हमने विक्रम लैडर और प्रज्ञान रोवर खोये हैं, लेकिन चंद्रयान-2 का 95 फीसदी हिस्सा काम कर रहा है। मिशन का ऑर्बिटर चांद के चारों ओर चक्र लगा रहा है।"
ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है और यह चांद की परिक्रमा करते हुए इसकी तस्वीरें ISRO को भेजता रहेगा। यह लैंडर की तस्वीर भी ले सकता है।
हिम्मत
प्रधानमंत्री मोदी ने की वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई
विक्रम से संपर्क टूटने के बाद ISRO वैज्ञानिक मायूस हो गए। ISRO प्रमुख ने इसकी जानकारी वहां मौजूद प्रधानमंत्री मोदी को दी।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों की हौसला बढ़ाते हुए कहा कि जीवन में उतार-चढाव आते रहते हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा दूसरे बड़े नेता और पूरा देश ISRO की इस उपलब्धि पर गर्व कर रहा है। लोग ISRO को बधाई संदेश दे रहे हैं।