कितना ठंडा है अंतरिक्ष; साइंस-फिक्शन फिल्मों में है कितनी सच्चाई?
अगर आपने साइंस-फिक्शन और अंतरिक्ष से जुड़ी फिल्में देखी हैं, तो शायद आपका भी मानना हो कि अंतरिक्ष बेहद ठंडा है। फिल्मों में दिखाया जाता है कि कोई अंतरिक्ष यात्री बिना स्पेस-सूट पहने शिप से बाहर जाता या उसका फेस कवर टूट जाता है, तो वह तुरंत जम जाता है। हालांकि, इस बात में पूरी सच्चाई नहीं है और अंतरिक्ष का कोई तय तापमान नहीं है। आइए समझते हैं कि फिल्मों में दिखाए जाने वाले नजारों में कितनी सच्चाई है।
अंतरिक्ष का अपना तापमान क्यों नहीं है?
तापमान किसी तय क्षेत्र में कणों की गति और उनके बीच ट्रांसफर होने वाली ऊर्जा की मात्रा के आधार पर मापा जाता है। इसका मतलब है कि अंतरिक्ष के पूरी तरह खाली क्षेत्र, यानी कि जहां कोई कण या रेडिएशन ना हो, वहां कोई तापमान ही नहीं होगा। हालांकि, अंतरिक्ष में ढेरों ग्रह, उपग्रह, तारे और खगोलीय पिंड हैं और यह पूरी तरह खाली नहीं है। इसलिए अंतरिक्ष का कोई सा हिस्सा गर्म तो कोई ठंडा हो सकता है।
क्या अंतरिक्ष का तापमान बढ़ाते हैं तारे?
अंतरिक्ष का सबसे गर्म हिस्सा तारों के आसपास के क्षेत्र को माना जा सकता है, जहां गर्मी न्यूक्लियर फ्यूजन शुरू करने के लिए काफी होती है। तारों से निकलने वाला रेडिएशन आसपास के क्षेत्र और कणों को गर्म करता है और उनमें ऊर्जा ट्रांसफर करता है। उदाहरण के लिए सौर मंडल में सूर्य तापमान और ऊर्जा का केंद्र है। तारों से निकलने वाली ऊर्जा आसपास कई लाख किलोमीटर के क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है।
तारे के नजदीक होना तापमान की गारंटी नहीं
पृथ्वी का तापमान सूर्य और इसके बीच के तापमान से ज्यादा है, जिसकी वजह इसके वातावरण में पार्टिकल्स के वाइब्रेशन और ऊर्जा उत्सर्जन से जुड़ी है। किसी तारे के पास होने का मतलब ग्रह या पिंड का ज्यादा गर्म होना नहीं होता। सूरज का सबसे करीबी ग्रह बुध दिन में बेहद गर्म होता है, लेकिन रात में इसका तापमान -178 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। वहीं, सूरज से सबसे दूर यूरेनस पर तापमान -224 डिग्री सेल्सियस तक जाता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह शुक्र है, जिसका तापमान 450 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, जबकि यह सूरज के सबसे करीब नहीं है। सबसे करीबी ग्रह बुध में कोई वायुमंडल ना होने के चलते, वहां सूरज की गर्मी रुकती नहीं है।
इसलिए अंतरिक्ष का कोई तापमान नहीं
अंतरिक्ष में अलग-अलग तरह के खगोलीय पिंड और उनकी ऊर्जा शामिल है, कुछ बेहद गर्म हैं, कुछ बेहद ठंडे, इसलिए अंतरिक्ष का कोई तापमान तय नहीं है। हालांकि, कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) के साथ अंतरिक्ष में तापमान की स्थिति समझी जाती है और इसका यूनिफॉर्म टेंपरेचर 2.7K (-270 डिग्री सेल्सियस) होता है। माना जाता है, अंतरिक्ष का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में मौजूदा रेडिएशन और ऊर्जा के कम होने के साथ अंतरिक्ष लगातार ठंडा होता जा रहा है।
साइंस-फिक्शन फिल्मों में कितनी सच्चाई?
अगर अंतरिक्ष यात्री बिना स्पेस-सूट पहने अंतरिक्ष में पहुंच जाए, तो फिल्मी सीन की तरह तुरंत उसका शरीर नहीं जम जाएगा। तापमान एक से दूसरे पिंड में तेजी से ट्रांसफर होने के लिए भी बीच में वातावरण का घनत्व ज्यादा होना चाहिए। हालांकि, अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता इसलिए तेजी से जमने जैसी घटना नहीं होगी। बिना स्पेस-सूट के अंतरिक्ष में हवा या वातावरण ना होने के चलते मौत हो जाएगी, ना कि तापमान बेहद कम होना इसकी वजह बनेगा।