बिरयानी से लेकर सूजी के हलवे तक, गगनयान मिशन पर एस्ट्रोनॉट्स को मिलेंगे ये व्यंजन
मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च लैबोरेट्री (DFRL) ने भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिश मिशन गगनयान पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लिए विशेष भोजन तैयार किया है। मिशन के दौरान ये एस्ट्रोनॉट्स DRFL के बनाए कई लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा पाएंगे। नाश्ते के लिए इन्हें इडली, उपमा और पोहा मिलेगा तो दोपहर में खाने के लिए इनके पास वेज पुलाव और बिरयानी का विकल्प होगा। इसी तरह रात को इन्हें कोरमा और चपातियां मिलेंगी।
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजेगा। इस मिशन पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इसका अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा। इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजा जायेगा। यह धरती से 2,00 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और लंबे समय से इस मिशन की तैयारी चल रही है।
DFRL ने तैयार किये विशेष व्यंजन
ऊंचाई पर तैनात सुरक्षाबलों और अंटार्कटिक अभियान पर जाने वालों के लिए भोजन उत्पाद तैयार करने वाले DFRL ने गगनयान के एस्ट्रोनॉट्स के लिए मेन्यू को अंतिम रूप दे दिया है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, मिशन पर खाने के अलावा एस्ट्रोनॉट्स को सूजी का हलवा और मीठे में दूसरे विकल्प भी मिलेंगे। साथ ही इन्हें चाय, कॉफी, फलों का जूस और दूसरे पेय पदार्थ भी दिया जाएंगे। उम्मीद है अगले साल इस मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा।
पूरी तरह सूखा होगा खाना
DFRL के निदेशक एडी सेमवाल ने कहा कि पूरे देश से व्यंजनों की सूची तैयार करना आसान नहीं था, लेकिन DFRL पूरी तरह तैयार है। यह खाना थोड़ा तीखा है और इनके साथ मसालों के छोटे पैकेट दिए जाएंगे ताकि अगर कोई तीखा खाना पसंद करता है तो उसे अपने पसंद का खाना मिल सके। उन्होंने बताया कि यह खाना पूरी तरह सूखा होगा और एस्ट्रोनॉट्स को इसे खाने के लिए इनमें पानी मिलाना होगा।
कोरोना के कारण मिशन में हो सकती है एक साल की देरी
योजना के मुताबिक, गगनयान मिशन के तहत मानवयुक्त मिशन को अंतरिक्ष में भेजने से पहले दो मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे। पहले मानवरहित मिशन को दिसंबर 2020 और दूसरे को जून 2021 में भेजने की योजना थी। इसके बाद दिसंबर 2021 में मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण योजना में बदलाव हो गया है। अब इस मिशन में एक साल की देरी हो सकती है।