
AI से लगेगा मधुमेह रोगियों की किडनी की बीमारी का पता, जानिए कितना है सटीक
क्या है खबर?
मधुमेह के कारण किडनी की क्षति का पता लगाने के लिए आमतौर पर चिकित्सक आंखों की जांच की सलाह देते हैं।
अब चीनी शोधकर्ताओं ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित डीप लर्निंग सिस्टम डीपडीकेडी विकसित किया है।
इससे मरीजों की आंखों के रेटिना की तस्वीरों का उपयोग करके किडनी की बीमारियों का अधिक सटीकता से पता लगाया जा सकता है। यह प्रगति भारत के लिए महत्वपूर्ण है, जहां 21.2 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
अध्ययन
अध्ययन में यह आया सामने
लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि मधुमेह से किडनी की बीमारी हो सकती है, लेकिन यह केवल 40 फीसदी रोगियों में होता है।
रक्त और मूत्र के नमूनों पर आधारित वर्तमान जांच विधियां नुकसान का पता लगाने और नुकसान मधुमेह के कारण हुआ है या नहीं निर्धारित करने में सटीक नहीं है।
किडनी की क्षति का पता लगाने में AI (77.8 फीसदी) मूत्र डिपस्टिक प्रोटीन परीक्षण (19 फीसदी) से लगभग 4 गुना अधिक था।
उपयोगिता
इस कारण बढ़ सकता है इसका उपयोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल रेटिनल फंडस फोटोग्राफी की बढ़ती उपलब्धता और भविष्य में संभावित रूप से सस्ते मोबाइल फोन-आधारित फंडस कैमरों के विकास के कारण डीपडीकेडी प्रणाली को मधुमेह की जांच में प्राथिमकता मिल सकती है।
शोधकर्ताओं ने चीन के राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास कार्यक्रम और शंघाई नगर स्वास्थ्य आयोग सहित चीन, सिंगापुर, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम (UK) के 65,406 रोगियों से 7.34 लाख से अधिक रेटिना फंडस तस्वीरों का उपयोग किया है।