चीन की NASA को सीधी चुनौती, हबल से ज्यादा ताकतवर स्पेस टेलीस्कोप लॉन्च को तैयार
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप इन दिनों सारी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन इस बीच चीन NASA को टक्कर देने जा रहा है। चीन अपना फ्लैगशिप टेलीस्कोप लॉन्च करने को तैयार है, जिसके साल 2024 तक चाइना स्पेस स्टेशन में ऑपरेशंस के लिए तैयार होने की उम्मीद है। यह टेलीस्कोप NASA के मौजूदा हबल स्पेस टेलीस्कोप के मुकाबले ज्यादा ताकतवर होगा। इसे चाइनीज स्पेस स्टेशन टेलीस्कोप (CSST) या जूंटियान नाम दिया गया है।
NASA के मौजूदा टेलीस्कोप्स से अलग होगा CSST
चीन ने अपने स्पेस टेलीस्कोप का नाम जुंटियान रखा है, जिसका मतलब 'स्वर्ग की खोज' होता है। इस टेलीस्कोप के साथ चीन की कोशिश अंतरिक्ष को समझने और उसके अलग-अलग हिस्सों का एक नक्शा तैयार करने की होगी। CGTN की रिपोर्ट में बताया गया है कि चाइनीज टेलीस्कोप NASA के दोनों मौजूदा स्पेस टेलीस्कोप्स- जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और हबल स्पेस टेलीस्कोप ससे अलग होगा। हालांकि, यह जेम्स वेब के मुकाबले धरती के ज्यादा करीब होगा।
करीब 10 साल की होगी टेलीस्कोप की मिशन लाइफ
NASA के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लग्रांज पॉइंट 2 पर भेजा गया है। वहीं, इसके मुकाबले CSST को चीन के स्पेस स्टेशन के पास धरती की कक्षा में भेजा जाएगा। यानी कि इसका मेंटिनेंस और सर्विस आसान होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि CSST से करीब 10 साल की मिशन लाइफ मिलने की उम्मीद की जा रही है, हालांकि जरूरत के हिसाब से इसकी लाइफ बढ़ाई जा सकती है।
हबल स्पेस टेलीस्कोप से बेहतर होगा CSST
NASA का हबल स्पेस टेलीस्कोप लॉन्च के बाद से करीब 32 साल अंतरिक्ष में बिता चुका है और अब तक डाटा भेज रहा है। इस दौरान हबल ने नई आकाशगंगाओं, सितारों, ग्रहों, उल्कापिंडों और खगोलीय पिंडों की खोज की है। वहीं, CSST चीन के स्पेस स्टेशन के करीब रहेगा लेकिन क्षमता के मामले में यह हबल के मुकाबले ताकतवर होगा। इसमें हबल जैसा 2.5 अरब पिक्सल रेजॉल्यूशन वाला कैमरा मिलेगा, लेकिन इसका फील्ड ऑफ व्यू बेहतर होगा।
अपना अंतरिक्ष स्टेशन तैयार कर रहा है चीन
चीन की योजना यहीं रुकने की नहीं है और वह कई मामलों में अमेरिका को टक्कर दे रहा है। अपने स्पेस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए चीन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तरह खुद का अंतरिक्ष स्टेशन तैयार कर रहा है। इस स्टेशन के लिए काम शुरू कर दिया गया है और हाल ही में एक स्पेसक्राफ्ट को स्टेशन से जोड़ा गया। बता दें, चीन अपना कृत्रिम सूरज और चांद भी तैयार कर चुका है।
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के बारे में समझें
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष में मौजूद एक प्रकार की प्रयोगशाला है, जहां धरती से एस्ट्रोनॉट्स जाकर रहते हैं और कई तरह के प्रयोग करते हैं। इसे अमेरिका और रूस समेत कई देश मिलकर संचालित करते हैं। इसके आकार की बात करें तो यह 357 फीट इलाके में बना हुआ है और 300 कारों के कुल वजन से भी भारी है। यह हर 90 मिनट में धरती का एक चक्कर लगा लेता है।