कोरोना महामारी के भयानक दौर से क्यों गुजर रहा चीन?
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद से चीन वर्तमान में महामारी के सबसे भयानक दौर से गुजर रहा है। वायरस ने सबसे बड़े शहर शंघाई में 100 सालों की बड़ी महामारी का रूप ले लिया है। हालात यह है कि यह शहर पिछले तीन सप्ताह से लॉकडाउन में चल रहा है। क्वारंटाइन केंद्रों में लोग भोजन और दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं। आइये जानते हैं चीन में हालात क्यों बिगड़े हैं और इससे क्या सबक मिलता है।
चीन में प्रतिदिन सामने आ रहे हैं 20,000 से अधिक नए मामले
शंघाई सहित अन्य प्रांतों में प्रतिदिन 20,000 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। सोमवार को भी यहां 21,582 मामले सामने आए और सात लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 17,000 से अधिक मामले हल्के लक्षण वाले हैं। लॉकडाउन के बाद यह पहली सात मौतें हैं। इसने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। बता दें कि चीन की सरकार ने फरवरी से लॉकडाउन लागू करना शुरू किया था और वर्तमान में 37.50 करोड़ लोग लॉकडाउन में हैं।
सख्त लॉकडाउन में रह रही 37.50 करोड़ आबादी
चीनी सरकार ने बढ़ते संक्रमण के कारण शंघाई सहित कई प्रांतों में मार्च की शुरुआत से सख्त लॉकडाउन लागू कर रखा है। वर्तमान में 37.50 करोड़ लोग घरों में कैद है और उनकी नियमित जांच की जा रही है। संक्रमित मिलने पर लोगों को जबरन क्वारंटीन किया जा रहा है। हाल के दिनों में कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लॉकडाउन का विरोध किया है। उनका कहना है कि क्वारंटाइन केंद्रों में खाना और दवाइयां तक नहीं मिल रही है।
ड्रोन के जरिए की जा रही है प्रतिबंधों के पालन की अपील
विरोध के बीच चीनी सरकार ड्रोन से लोगों से कोरोना प्रतिबंधों का सख्ती से पालन करने की अपील कर रही है। इसके अलावा ड्रोन से ही निगरानी रखी जा रही है। इसके बाद भी लोग खाने और दवाइयों के लिए अधिकारियों से भिड़ रहे हैं।
चीन ने दिया है शून्य-कोविड नीति पर जोर
बता दें 2019 में वुहान में वायरस का प्रकोप फैलने के बाद भी चीन ने पूरी दुनिया को सचेत नहीं किया। इससे वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद चीन ने शून्य-कोविड नीति तैयार की और महामारी के प्रसार के सभी स्रोत बंद कर दिए। सरकार ने देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू करने के साथ संक्रमितों को क्वारंटीन कर दिया। इसके अलावा उसके परिवार के सदस्यों को घरों या अन्य केंद्रों में कैद कर दिया।
वर्तमान लहर से क्यों जूझ रहा है चीन?
चीन में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन और उसके BA.2 सब वेरिएंट के कारण वर्तमान लहर से जूझ रहा है। इसके बचने के लिए सरकार ने फिर से शून्य-कोविड नीति अपनाई है। बता दें कि चीन शून्य-कोविड नीति अपनाने वाला संभवतः पहला देश हैं, जबकि अन्य देशों ने स्वास्थ्य और आर्थिक लागत के बीच संतुलन बनाने के लिए वायरस के साथ रहने की नीति का विकल्प चुना है। हालांकि, इस नीति से चीन को अब खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर बरती सख्ती
चीन ने सख्त लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतते हुए सजा की कार्रवाई की। इससे लोगों में भय बैठ गया। ऐसे में चीन ने महामारी के प्रसार को रोक दिया, लेकिन वह फिर से इसकी चपेट में आ गया।
स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते दबाव के कारण चीन ने नीति में किया बदलाव
अपनी शून्य-कोविड नीति से स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते दबाव को देखते हुए चीन को अब मजबूरन नीति में बदलाव करना पड़ा है। सरकार ने क्वारंटीन अवधि को दो सप्ताह या उससे अधिक से घटाकर लगभग 10 दिन कर दिया है। इसी तरह हल्के लक्षणों वाले रोगियों को किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में जाने की आवश्यकता नहीं है। इतना ही नहीं अब लोगों को सेल्फ टेस्ट किट को घर पर ही कोरोना टेस्ट की अनुमति दी है।
महामारी की वर्तमान लहर से चीन की अर्थव्यवस्था को भी लगा झटका
कोरोना महामारी की वर्तमान लहर के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को भी झटका लगा है। मार्च में इसकी खुदरा बिक्री में 3.5 प्रतिशत की कमी आई है, जो जुलाई 2020 के बाद सबसे तेज गिरावट है। इसी तरह बेरोजगारी दर भी मई 2020 के बाद फिर से 5.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इस साल इसकी सकल घरेलू विकास (GDP) विकास दर भी 5.5 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले 4.8 प्रतिशत ही रही है। यह बड़ी चिंता का कारण है।
चीन को किस कमी का भुगतना पड़ रहा है खामियाजा?
बता दें कि चीन अपनी शून्य-कोविड नीति को लागू करने में आक्रामक रहा है, लेकिन वैक्सीन नीति पर उसने ज्यादा जोर नहीं दिया। शोध में चीनी वैक्सीनों के बीमारी की गंभीरता को कम करने या कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में कम प्रभावी होने के बात सामने आने के बाद भी सरकार ने किसी भी विदेशी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी। इससे साफ है कि चीन ने राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया।