सितंबर में 'चंदा मामा' की जमीन पर कदम रखेगा भारत, अभियान को तैयार हो रहा चंद्रयान-2
अगर सब ठीक रहा तो भारत इस सितंबर में पहली बार चांद की सतह पर उतरने में कामयाब रहेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को अपने चंद्रयान-2 मिशन की घोषणा करते वक्त यह बता कही। भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन को 9-16 जुलाई के बीच लांन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 अपने साथ एक आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) लेकर जाएगा। इन तीनों मॉड्यूल को मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है।
टल चुकी हैं लॉन्च की दो तारीख
पहले चंद्रयान-2 को पिछले साल अप्रैल और फिर इस साल जनवरी में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कई जटिलताओं के कारण ऐसा नहीं हो सका। एक परीक्षण में विक्रम का एक पैर टूटने से भी मिशन में देरी हुई।
चंद्रमा की सतह पर 300-400 मीटर घूमेगा रोवर
ISRO ने अपने बयाम में बताया कि 3290 किलो वजनी चंद्रयान-2 को GSLV MK-III रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। दो महीने के सफर के बाद यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा, जहां इसका ऑर्बिटर, लैंडर से अलग हो जाएगा। इसके बाद 6 सितंबर को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक पूर्व निर्धारित जगह पर उतरेगा और रोवर इसके अंदर से निकलते हुए चंद्रमा की सतह पर 300-400 मीटर घूमेगा।
14 दिन तक चंद्रमा की सतह का होगा विश्लेषण
रोवर चंद्रमा पर 14 दिन रहेगा। रोवर में 6 पहिए हैं और इसका वजन 20 किलो है। यह अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा। वह इस दौरान चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करेगा और ऑर्बिटर के जरिए हर 15 मिनट में खनिज एवं अन्य पदार्थों के बारे में डेटा और तस्वीरें भेजेगा। ISRO चेयरमैन के सिवन के अनुसार, चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड होंगे। रोवर प्रज्ञान में 3 पेलोड और बाकी के 10 पेलोड लैंडर विक्रम और ऑर्बिटर में होंगे।
चंद्रमा पर जाने वाला चौथा देश बन जाएगा भारत
अगर यह मिशन सफल रहा तो भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल रूस, अमेरिका और चीन ही ये कारनामा कर चुके हैं। हालांकि मिशन में देरी होने के कारण भारत ने यह मौका लगभग गंवा दिया था और इजरायल ने अपना एक मिशन चंद्रमा पर भेजा था। हालांकि उसका अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में असफल रहा और 12 अप्रैल को मिशन फेल हो गया।
बेहद खतरनाक है भारत का मिशन
भारत के मिशन को इजरायल के मिशन से भी खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि उसने दक्षिणी ध्रुव पर जहां अपने लैंडर को उतारने का फैसला लिया है, वहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। नासा के अनुसार, इस जगह पर बर्फ जमा है।
सफल साबित हुआ था चंद्रयान-1
इससे पहले भारत ने 22 अक्टूबर, 2008 को अपना चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था, जिसमें केवल एक ऑर्बिटर शामिल था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की कक्षा के 3400 से ज्यादा चक्कर लगाए और उसकी सतह की सैकड़ों तस्वीरें लीं। हालांकि ईंधन की कमी के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका और 29 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया। लेकिन संपर्क टूटने से पहले चंद्रयान-1 अपना 95 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर चुका था।