चंद्रमा पर प्रयोग के लिए भारत के चंद्रयान-2 की मदद लेगी NASA, जानिये बड़ी बातें
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जुलाई में दूसरे चंद्रयान मिशन की योजना बना रहा है। अब इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। इस मिशन पर कुल 13 पेलोड (Payloads) भेजे जाएंगे। इतना ही नहीं, ISRO के चंद्रयान की मदद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA भी चांद पर अपने प्रयोग करेगी। ISRO ने जानकारी देते हुए बताया कि इसमें 13 पेलोड्स (ऑर्बिटर में आठ, लैंडर में तीन और रोवर में दो) होंगे और एक NASA का प्रयोग होगा।
6 सितंबर को चांद पर पहुंचेगा चंद्रयान-2
इस यान का कुल भार ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) समेच 3.8 टन होगा। चंद्रयान-2 को 9 जुलाई से 16 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा। माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 6 सिंतबर को चंद्रमा की सतह पर उतर जाएगा।
GSLV MK-III से लॉन्च होगा चंद्रयान-2
ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर चांद के दक्षिण ध्रुव के पास सतह पर उतरेगा और रोवर चांद की सतर पर प्रयोग करेगा। लॉन्चिंग के वक्त रोवर लैंडर के अंदर रहेगा और ऑर्बिटर और लैंडर को साथ रखा जाएगा। इस यान को ISRO के GSLV MK-III लॉन्च व्हीकल से लॉन्च किया जाएगा। धरती की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर प्रोपल्शन मॉड्यूल की मदद से यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा।
मिशन पर टिकी हैं दुनियाभर की नजरें
चद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर ऑर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहले से निर्धारित स्थान पर लैंड करेगा। इसके बाद लैंडर से बाहर निकल रोवर सतर पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। ISRO ने बताया कि रोवर के अलावा ऑर्बिटर और लैंडर पर भी उपकरण लगाए गए हैं ताकि जरूरी प्रयोग किए जा सकें। भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजरें इस मिशन पर टिकी हैं।
चंद्रयान-1 का अपग्रेडेड वर्जन है चंद्रयान-2
ISOR प्रमुख के सिवान ने जनवरी में कहा था, "हम चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास ऐसी जगह जा रहे हैं जहां आजतक कोई नहीं गया है।" चंद्रयान-2 से पहले भारत ने चंद्रयान-1 मिशन में 11 पेलोड्स भेजे थे। इनमें से भारत के पांच, यूरोप के तीन, अमेरिका के दो और एक पेलोड बुल्गारिया का था। इस मिशन को चांद की सतह पर पानी की खोज का श्रेय दिया जाता है। पूरी दुनिया में इस मिशन की तारीफ हुई थी।
गगनयान की तैयारियां जोरों पर
ISRO 2021 तक भारत से अंतरिक्ष यात्री भेजने की तैयारियों में लगा है। मिशन 'गगनयान' के तहत तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इनमें महिला अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हो सकती हैं। अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले टेस्टिंग के लिए दो मानवरहित फ्लाइट भेजी जाएंगी। पहली टेस्ट फ्लाइट दिसंबर 2020 और दूसरी टेस्ट फ्लाइट जुलाई, 2021 में भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर, 2021 में तीन भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।
भारत और रूस में होगी एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग
गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले भारतीय एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग भारत और रूस में होगी। बता दें, इससे पहले 1984 में रूस के मिशन पर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे। भारतीय वायुसेना को एस्ट्रोनॉट चुनने की जिम्मेदारी दी गई है।
सात दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे अंतरिक्ष यात्री
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने ISRO के इस मिशन के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। पहले यह मिशन 2022 में भेजा जाना था, लेकिन अब इसके लिए दिसंबर, 2021 को चुना गया है। इस मिशन में तीन भारतीयों को सात दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। अगर यह मिशन सफल रहता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश होगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसे देश हैं जिन्होंने ऐसे मिशन को पूरा किया है।