मेटावर्स: कहीं 'अंधेरी दुनिया' की ओर कदम तो नहीं भविष्य का सोशल मीडिया?
'मेटावर्स' सिर्फ एक शब्द ना होकर, जैसे भविष्य का रास्ता बन चुका है। इसका मतलब ऐसी वर्चुअल दुनिया है, जो असली दुनिया की तरह दिखेगी, लेकिन जिसमें असीमित संभावनाएं होंगी। बीते दिनों एक यूजर ने दावा किया कि वर्चुअल दुनिया में उसे यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। मौजूदा सोशल मीडिया का एक अंधेरा हिस्सा भी है, जो अफवाहों, झूठ और नकारात्मकता से भरा है। सवाल है कि क्या 'भविष्य का सोशल मीडिया' मेटावर्स भी अपने साथ अंधेरा लेकर आएगा?
क्या है मेटावर्स?
मेटावर्स एक ऐसी वर्चुअल दुनिया है, जहां डिजिटल अवतार की मदद से पहुंचा जा सकता है और दूसरे लोगों के अवतार से जुड़ने का विकल्प मिलता है। मौजूदा सोशल मीडिया के मुकाबले मेटावर्स में कहीं बेहतर ढंग से दूसरों से जुड़ा जा सकेगा और चीजों को महसूस किया जा सकेगा। बेशक यह हिस्सा रोमांचक लगे, लेकिन यहीं से कई परेशानियां भी शुरू हो सकती हैं। आइए मेटावर्स के उन पहलुओं को समझते हैं, जो सवाल खड़े करते हैं।
मेटावर्स पर किसी की पहचान करना होगा मुश्किल
वर्चुअल दुनिया में जाने के लिए यूजर्स को उनका 3D अवतार बनाना होता है। बड़ी चुनौती यह तय करना है कि यूजर असली दुनिया में भी अपने अवतार जैसा दिखे। सोशल मीडिया पर बनाई जाने वाली फेक ID की तरह मेटावर्स में नकली अवतार के साथ कदम रखने वाले भी बड़ी संख्या में होंगे। उदाहरण के लिए, 45 साल का अधेड़ यूजर किसी लड़की का अवतार इस्तेमाल कर अपनी असली पहचान छुपा सकता है।
नकली पहचान के साथ वर्चुअल स्पेस का गलत इस्तेमाल
सोशल मीडिया पर बुलीइंग, अश्लीलता और जानबूझकर किसी को परेशान करने की शुरुआत फेक ID के साथ होती है। मेटावर्स पर नकली अवतार इस्तेमाल करने वाले दूसरों को इसी तरह परेशान कर सकेंगे। बुरा पहलू यह है कि मेटावर्स में सामना केवल कॉमेंट्स, मेसेजेस और पोस्ट्स से नहीं होगा बल्कि वर्चुअल बुलीइंग को महसूस किया जा सकेगा। यह असली दुनिया में होने वाले किसी अपराध जैसा होगा, जिसे करने वाले की पहचान छुपी होगी।
मेटा को लाना पड़ा 'पर्सनल बाउंड्री' फीचर
मेटा ने वर्चुअल दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए नया पर्सनल बाउंड्री फीचर लॉन्च किया है। इसके साथ यूजर्स के 3D अवतारों के बीच एक तय दूरी बनी रहेगी। कंपनी को यह फीचर मेटावर्स में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने के बाद लाना पड़ा।
पैसे तय करेंगे मेटावर्स यूजर्स की पहचान
असली दुनिया की तरह मेटावर्स में अमीर और कम पैसे वाले यूजर्स के बीच का फर्क साफ देखा जा सकेगा। जो यूजर्स ज्यादा खर्च कर सकते हैं, उनके पास बेहतर अवतार, वर्चुअल प्रॉपर्टी, बेहतर आउटफिट और ज्यादा NFTs होंगे। वहीं, जिन यूजर्स के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं हैं, उनके लिए मेटावर्स में जगह बना पाना भी मुश्किल होगा। सोशल मीडिया पर भी यह अंतर दिखता है, लेकिन मेटावर्स पर इसे साफ महसूस किया जा सकेगा।
बढ़ेगा मेटावर्स में पैसे खर्च करने का दबाव
PUBG मोबाइल और BGMI जैसे गेम्स में पावर-अप्स खरीदने के लिए पैसे खर्च कर इन-गेम करेंसी खरीदनी होती है और मेटावर्स में क्रिप्टोकरेंसी इसकी जगह लेती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बच्चों ने अपने माता-पिता के अकाउंट्स से लाखों रुपये खर्च कर बैटल रॉयल गेम्स में पावर-अप्स खरीदे। दरअसल, दूसरे यूजर्स को बेहतर अनुभव मिलता देख बाकियों पर भी पैसे खर्च करने का दबाव पैदा होता है। मेटावर्स में भी युवा यूजर्स इसका शिकार हो सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने का डर
मेटावर्स में यूजर्स अपने वक्त, पैसों और भावनाओं का निवेश करेंगे, लेकिन यह दुनिया पूरी तरह आभासी होगी। यानी कि मेटावर्स में खर्च किए गए पैसों और बिताए गए वक्त के साथ मिलने वाली चीजें असली नहीं होंगी। वर्चुअल दुनिया और असली दुनिया के बीच संतुलन बनाए रखना, खासकर नए यूजर्स के लिए जरूरी होगा। वर्चुअल दुनिया में ज्यादा वक्त बिताना, असली दुनिया में यूजर्स कि गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है, जिसे लेकर एक्सपर्ट्स चिंता जता रहे हैं।
साइबर अपराधियों और हैकर्स के लिए मौके
बीते दिनों चेनालिसिस की रिपोर्ट में सामने आया है कि स्कैमर्स ने 2021 में 14 अरब डॉलर (करीब 1,039 अरब रुपये) कीमत की क्रिप्टोकरेंसी की चोरी की। हैकिंग की मदद से मेटावर्स में अवतार कस्टमाइजेशन से लेकर फेक NFTs और वर्चुअल असेट्स की चोरी जैसे कामों को अंजाम देने के लिए हैकर्स और साइबर अपराधी सक्रिय हो सकते हैं। क्रिप्टो वॉलेट्स और NFTs से जुड़ी चोरियां मेटावर्स का डरावना पहलू साबित हो सकती हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
इजीफाई (EasyFi) नेटवर्क के फाउंडर और CEO अंकित गौर ने न्यूजबाइट्स को बताया, "मेटावर्स से जुड़े ढेरों डिजिटल रिस्क हैं और वर्चुअल दुनिया में खास समूहों को निशाना बनाया जा सकता है। यह जिम्मेदारी मेटावर्स तैयार करने वालों पर होगी कि वे अवतार्स के बीच होने वाले व्यवहार की निगरानी करें।" सीनियर रिसर्च एसोसिएट श्रुति श्रेया कहती हैं, "मेटावर्स से जुड़ी जागरूकता फैलाकर इसके खतरों को कम किया जा सकेगा। साथ ही ऐसे मामलों को रिपोर्ट करना आसान होना चाहिए।"