कितनी तरह के होते हैं स्मार्टफोन वायरस, अपने फोन को कैसे रखें सुरक्षित?
स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या बढ़ती जा रही है और यही वजह है कि हैकर्स और अटैकर्स स्मार्टफोन यूजर्स को निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं। ढेरों स्मार्टफोन यूजर्स को इस बात की जानकारी नहीं है कि स्मार्टफोन के जरिए उन्हें किस तरह नुकसान पहुंचाया जा सकता है। पिछले कुछ साल में कई तरह के स्मार्टफोन वायरस सामने आए हैं और ये अलग-अलग तरीकों से यूजर्स पर अटैक करते हैं। आइए जानते हैं, स्मार्टफोन वायरस कितनी तरह के होते हैं।
क्या होते हैं स्मार्टफोन वायरस?
स्मार्टफोन या कंप्यूटर सिस्टम्स में वायरस का कॉन्सेप्ट नया नहीं है और लंबे वक्त से यूजर्स को परेशान करने के लिए इनका इस्तेमाल होता रहा है। वायरस दरअसल खास तौर से डिजाइन किए गए ऐसे प्रोग्राम्स होते हैं, जिनका डिवाइस में मौजूद होना उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे वायरस कुछ हैकर्स अपने फायदे के लिए तो वहीं कुछ केवल मजे के लिए तैयार करते हैं और इन्हें अलग-अलग तरीकों से एक से दूसरे डिवाइस में भेजा जाता है।
डाटा चोरी जैसे काम करते हैं मालवेयर
स्मार्टफोन यूजर्स को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले वायरस मालवेयर होते हैं और इनकी मदद से अलग-अलग काम किए जा सकते हैं। लगभग सभी स्मार्टफोन वायरस आसान भाषा में मालवेयर कह दिए जाते हैं और इनके साथ यूजर्स की डाटा चोरी से लेकर मालिशियस कोड्स या फाइल्स इंस्टॉल करने जैसे काम किए जा सकते हैं। मालवेयर का इस्तेमाल अटैकर्स या हैकर्स अलग-अलग मकसद के लिए कर सकते हैं। जोकर मालवेयर हाल के दिनों में सामने आया सबसे खतरनाक मालवेयर है।
फोन में दिखने लगते हैं ढेरों ऐड
अगर स्मार्टफोन में अचानक ढेरों ऐड्स दिखने लगें तो हो सकता है आप किसी ऐडवेयर का शिकार हुए हों। कई ऐप डिवेलपर्स खुद अपनी ऐप्स में ऐडवेयर छुपा देते हैं, जो यूजर को सीधे नुकसान तो नहीं पहुंचाते लेकिन उसके फोन में ढेरों ऐड दिखाने लगते हैं। इन ऐड्स के जरिए डिवेलपर्स की कमाई होती है और उन्हें फायदा मिलता है। बता दें, ऐडवेयर डिवाइस की बैटरी और परफॉर्मेंस पर बुरा असर डालते हैं।
जासूसी करना होता है स्पाईवेयर का काम
स्मार्टफोन यूजर्स की जासूसी करने के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और इन्हें आसानी से टारगेट डिवाइस तक भेजा जा सकता है। स्पाईवेयर के साथ यूजर के माइक्रोफोन और कैमरा का ऐक्सेस भी हैकर्स को मिल जाता है और वह रियल-टाइम पर स्मार्टफोन में की जाने वाली ऐक्टिविटी रिकॉर्ड कर सकता है। बीते दिनों पेगासस स्पाईवेयर चर्चा में रहा था, जिसने दुनियाभर के हजारों यूजर्स के व्हाट्सऐप अकाउंट्स में सेंध लगाई थी।
डाटा एनक्रिप्ट कर देता है रैंसमवेयर
स्मार्टफोन यूजर्स को सबसे ज्यादा नुकसान रैंसमवेयर के जरिए पहुंचाया जा सकता है क्योंकि इसके साथ हैकर्स सीधे पैसे की मांग करते हैं। रैंसमवेयर की मदद से यूजर का डिवाइस या फिर डाटा एनक्रिप्ट कर दिया जाता है, यानी कि यूजर उसे तब तक ऐक्सेस नहीं कर पाता जब तक इसे डिक्रिप्ट ना किया जाए। डाटा अनलॉक या डिक्रिप्ट करने के बदले हैकर्स यूजर्स से रैंसम की रकम मांगते हैं और बड़ी कंपनियां तक रैंसमवेयर का शिकार बन जाती हैं।
स्मार्टफोन वायरस से डिवाइस को बचाना जरूरी
डिवाइस को खतरनाक वायरस से बचाने के लिए जरूरी है कि आप आधिकारिक ऐप स्टोर से ट्रस्टेड ऐप्स ही इंस्टॉल करें। किसी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके रिव्यूज और रेटिंग्स देखी जा सकती हैं। उन ऐप्स पर भरोसा करें, जिन्हें लाखों बार डाउनलोड किया गया हो और पॉजिटिव रिव्यू मिले हों। अगर आप चेक करना चाहते हैं कि आपका डिवाइस सुरक्षित है या नहीं तो मालवेयरबाइट्स, सोफोस मोबाइल या एंटीवायरस टूल्स की मदद ले सकते हैं।