भारत में आने जा रही है 5G टेक्नोलॉजी, जानें स्पेक्ट्रम नीलामी से जुड़ी हर बात
क्या है खबर?
केंद्रीय बजट से जुड़ी घोषणाएं करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारत में 5G नेटवर्क का रोलआउट 2022-2023 में होगा।
कई महीनों से चल रहे इंतजार के बाद केंद्र की ओर से दूरसंचार विभाग को भारत में 5G स्पेक्ट्रम्स की नीलामी करने की अनुमति मिल गई है।
स्पेक्ट्रम मिलने के साथ ही रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां अपने यूजर्स को 5G कनेक्टिविटी दे सकेंगी।
घोषणा
दूरसंचार विभाग ने की आधिकारिक घोषणा
स्पेक्ट्रम नीलामी से जुड़ी घोषणा करते हुए दूरसंचार विभाग (DoT) ने कहा, "पूरे 5G इको-सिस्टम में स्पेक्ट्रम एक महत्वपूर्ण और जरूरी इकाई है। नई 5G सेवाओं में नई तरह के बिजनेस तैयार करने, कंपनियों को कमाई के अतिरिक्त मौके देने और नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से जुड़े विकल्पों के साथ रोजगार तैयार करने से जुड़ी संभावनाएं होंगी।"
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे भारतीय टेलिकॉम सेक्टर के लिए नए दौर की शुरुआत बताया है।
नीलामी
भारत में कब होगी 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी?
दूरसंचार विभाग ने नोटिस ऑफ इनवाइटिंग ऐप्लिकेशंस (NIA) पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए 22 जून तक का वक्त दिया है और 30 जून को इन्हें पब्लिक किया जाएगा।
नीलामी में हिस्सा लेने की ऐप्लिकेशन देने के लिए 8 जुलाई तक का वक्त मिला है, जिसके बाद 12 जुलाई को ओनरशिप डीटेल्स पब्लिश किए जाएंगे।
नीलामी में हिस्सा लेने वालों के नाम 20 जुलाई को सामने आएंगे।
22-23 जुलाई को मॉक ऑक्शंस के बाद 26 जुलाई को स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी।
स्पेक्ट्रम्स
किन स्पेक्ट्रम्स की नीलामी होगी?
अगले महीने होने वाली नीलामी में कुल 72097.85MHz स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगेगी।
नीलामी में कई लो (600MHz, 700MHz, 800MHz, 900MHz, 1800MHz, 2100MHz, 2300MHz), मिड (3300MHz) और हाई (26GHz) फ्रीक्वेंसी बैंड्स के स्पेक्ट्रम्स शामिल हैं।
प्राइमरी स्पेक्ट्रम के अलावा पर्याप्त बैकहॉल स्पेक्ट्रम्स की उपलब्धता से जुड़े बदलाव भी किए गए हैं, जो 5G सेवाओं के रोलआउट के लिए जरूरी हैं।
मौजूदा 13, 15, 18 और 21GHz बैंड्स पर पुराने माइक्रोवेव बैकहॉल कैरियर्स की संख्या दोगुनी की जाएगी।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
एरिक्सन रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2027 खत्म होने तक ग्लोबल मोबाइल सब्सक्रिप्शंस का लगभग 50 प्रतिशत 5G यूजर्स का होगा। दुनिया की कुल आबादी के लगभग 75 प्रतिशत और ग्लोबल स्मार्टफोन ट्रैफिक के करीब 62 प्रतिशत 5G कनेक्टिविटी का एक्सेस होगा।
कीमत
कितनी रखी गई है 5G स्पेक्ट्रम्स की कीमत?
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत में 5G वेव्स के रिजर्व प्राइस में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इस तरह 2.3-3.7GHz (C-बैंड) में स्पेक्ट्रम की एक यूनिट का बेस प्राइस 317 करोड़ रुपये रखा गया है।
वहीं, 700MHz स्पेक्ट्रम का बेस प्राइस 3,297 करोड़ रपये तय हुआ है।
टेलिकॉम सेक्टर को सहायता देते हुए सरकार ने नीलामी में कीमतों पर कोई स्पेक्ट्रम यूजेस चार्जेस (SuC) नहीं लिए जाएंगे।
गाइडलाइन्स
नीलामी में हिस्सा लेने के लिए जरूरी नियम
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया की बात करें तो दूरसंचार विभाग ने हर लाइसेंस एरिया के लिए नीलामी में हिस्सा लेने वालों के लिए 100 करोड़ रुपये की नेट वर्थ की अनिवार्यता रखी है।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में यह नेट वर्थ क्राइटेरिया 50 करोड़ रुपये पर सीमित है।
ऐप्लिकेशन सबमिट करने के बाद से एक साल का लॉक-इन पीरियड सेट किया गया है।
बता दें, नेट वर्थ से जुड़ी अनिवार्यता मौजूदा लाइसेंस होल्डर्स जैसे- जियो और एयरटेल पर नहीं लागू होगी।
भुगतान
एक बार में नहीं करना होगा पूरा भुगतान
सरकार ने स्पेक्ट्रम सरेंडर करने से जुड़े नियमों में भी कुछ बदलाव किए हैं।
सबसे बड़ी बोली लगाने वालों को पूरा भुगतान एक बार में नहीं करना होगा।
बजाय इसके टेलिकॉम ऑपरेटर्स स्पेक्ट्रम के लिए 20 एनुअल इंस्टॉलमेंट्स में भुगतान कर पाएंगे, जिनका भुगतान हर साल की शुरुआत में एडवांस में करना होगा।
साथ ही उन्हें 10 साल बाद स्पेक्ट्रम सरेंडर करने का विकल्प भी दिया जाएगा, जो इंस्टॉलमेंट्स सेटल होने के बाद किया जा सकेगा।