Page Loader
महिला आरक्षण विधेयक को आज लोकसभा में पेश कर सकती है केंद्र सरकार- रिपोर्ट
आज संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जा सकता है

महिला आरक्षण विधेयक को आज लोकसभा में पेश कर सकती है केंद्र सरकार- रिपोर्ट

लेखन आबिद खान
Sep 19, 2023
12:32 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार महिला आरक्षण विधेयक को आज ही लोकसभा में पेश कर सकती है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसे संसद में पेश करेंगे। इसके बाद कल यानी 20 सितंबर को विधेयक पर चर्चा होगी। 21 सितंबर को विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। बता दें कि कल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक को लाने की मंजूरी दी है।

बयान

मेनका गांधी बोलीं- आज ऐतिहासिक दिन 

भाजपा नेता मेनका गांधी ने महिलाओं के लिए आज के दिन को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, "आज ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलने जा रहा है।" जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, "मुख्य रूप से पुरुष राजनीतिक परिदृश्य के कठिन इलाके को स्वयं पार करने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण विधेयक एक वास्तविकता बन जाएगा।"

कांग्रेस

कांग्रेस ने बिना शर्त किया विधेयक का समर्थन

कांग्रेस सासंद राहुल गांधी ने कहा, "हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे।" लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "आज हम ऐतिहासिक घटना के साक्षी बनने जा रहे हैं। अंग्रेजी हुकूमत से लेकर हमारी आजादी में अब तक हमने इस संसद के शानदार पल को अनुभव किया है। बाबा साहेब अंबेडकर ने हमें 395 अनुच्छेद दिए हैं। 2047 तक हमें आर्थिक मामलों के साथ शिक्षा और दूसरे क्षेत्रों पर भी ध्यान देना होगा।"

विधेयक

महिला आरक्षण विधेयक क्या है?

इस विधेयक में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। इसी 33 प्रतिशत में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी हैं। महिला आरक्षण विधेयक एक संविधान संशोधन विधेयक है। यही कारण है कि इसे दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना जरूरी है। इसी वजह से ये विधेयक करीब 26 साल से अधर में लटका हुआ है।

प्लस

न्यूजबाइट्स प्लस

महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार 12 सितंबर, 1996 को तत्कालीन देवेगौड़ा सरकार ने संसद में पेश किया था। हालांकि, सरकार भंग होने के कारण ये पारित नहीं हो सका। इसके बाद 1997, 1998, 1999 और 2003 में इसे 4 बार पेश किया गया, लेकिन एक बार भी पारित नहीं हो पाया। UPA सरकार ने 2008 में इसे पेश किया और काफी मशक्कत के बाद 2010 में ये राज्यसभा से पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में पेश नहीं हो सका।