उच्च न्यायालयों में 30 साल से ज्यादा समय से 71,000 से अधिक मामले लंबित- कानून मंत्री
देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में पिछले 30 साल से अधिक समय से 71,000 से अधिक मामले लंबित हैं। इसी तरह इतनी ही अवधि से विभिन्न निचली अदालतों में करीब एक लाख से अधिक मामले लंबित हैं। शुक्रवार को लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी दी है। इससे पहले देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों आंकड़ा 5 करोड़ के पार पहुंच गया था। आइए जानते हैं कि कानून मंत्री ने और क्या कहा?
देश की विभिन्न अदालतों में कुल कितने मामले लंबित हैं?
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि इस साल 24 जुलाई तक उच्च न्यायालयों में 30 साल से अधिक समय से 71,204 मामले लंबित थे। इसी तरह जिला और अधीनस्थ अदालतों में 1,01,837 मामले 30 साल से अधिक समय से लंबित थे। इससे पहले 20 जुलाई को मानसून सत्र की शुरुआत में राज्यसभा में कानून मंत्री मेघवाल ने बताया था कि देश की विभिन्न अदालतों में 5.02 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं।
लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर क्या बोले कानून मंत्री?
कानून मंत्री मेघावाल ने लोकसभा में कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या के लिए न्यायाधीशों की रिक्तियां एकमात्र कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालतों में मामलों के लंबित होने के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें पर्याप्त संख्या में न्यायिक अधिकारियों की अनुपलब्धता, अदालत के कर्मचारियों और कोर्ट के बुनियादी ढांचे की कमी, साक्ष्यों का न जुटाया जाना, बार काउंसिल, जांच एजेंसियां, गवाहों और वादियों जैसे हितधारकों का सहयोग भी शामिल है।
कानूनी मंत्री बोले- लंबित मामलों के निपटारे में सरकार की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं
कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे में सरकार की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है। उन्होंने राज्यसभा में बताया था कि इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम (ICMS) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 1 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा था कि नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) पर मौजूद जानकारी के अनुसार, 14 जुलाई तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में 60,62,953 और जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4,41,35,357 मामले लंबित हैं।
अदालतों में लंबित मामले बढ़ने का क्या हैं अन्य कारण?
NJDG ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि देश की अदालतों लंबित मामलों में 61,57,268 ऐसे हैं जिनमें वकील पेश नहीं हो रहे हैं और 8,82,000 मामलों में केस करने वाले और विरोधी पक्षों ने कोर्ट आना छोड़ दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 66,58,131 मामले ऐसे हैं जिनमें आरोपी या गवाहों की पेशी नहीं होती है। इसके अलावा निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के 5,388 से ज्यादा और उच्च न्यायालयों में 330 से ज्यादा पद खाली हैं।