
#NewsBytesExplainer: अजित-शरद पवार के साथ आने की अटकलें, हाथ मिलाया तो कितनी बदलेगी महाराष्ट्र की राजनीति?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा कुछ न कुछ उथल-पुथल चलती ही रहती है। हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के हाथ मिलाने की अटकलें थीं।
अब अजित पवार और शरद पवार ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं। दोनों नेता बीते 20 दिन में 4 बार मिल चुके हैं। शरद की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले के बयान ने अटकलों को और हवा दे दी है।
आइए जानते हैं ऐसी अटकलें क्यों लग रही हैं।
मुलाकात
20 दिन में 4 बार मिले अजित और शरद
शरद और अजित की पहली मुलाकात 4 अप्रैल को हुई थी। तब वे सतारा में एक कार्यक्रम में साथ नजर आए।
इसके बाद दोनों नेता 10 अप्रैल को साथ दिखाई दिए। मौका था अजित के बेटे जय पवार के सगाई कार्यक्रम का।
तीसरी मुलाकात 16 अप्रैल को चंद्रपुर में हुई, जहां एक स्कूल के कार्यक्रम में दोनों नेता साथ नजर आए।
21 अप्रैल को शरद और अजित ने शिवाजीनगर स्थित चीनी आयुक्तालय में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
बयान
सुप्रिया सुले बोलीं- परिवार कभी अलग हुआ ही नहीं
मामले पर सुप्रिया सुले ने कहा, "पवार परिवार कभी अलग ही नहीं हुआ था। सभी भाई-बहन हमारे पूर्वजों के सिखाए मूल्यों के साथ पले-बढ़े हैं। हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमने उससे अपने निजी संबंधों को प्रभावित नहीं होने दिया। अगर दादा नरम हो गए हैं तो सभी ने इसका स्वागत किया है। कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला, लेकिन शरद पवार और अजित पवार जो भी निर्णय लेंगे उसे स्वीकार किया जाएगा।"
अटकलें
क्यों लग रही हैं दोनों नेताओं के साथ आने की अटकलें?
21 अप्रैल को चीनी आयुक्तालय वाला कार्यक्रम संपन्न होने के बाद शरद और अजित ने बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक बातचीत की थी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद दोनों पार्टियों की स्थिति बदल गई है। अजित की ताकत भले ही बढ़ी हो, लेकिन अभी भी उनके मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा है।
वहीं, शरद के सामने अपने बेटी और पार्टी को फिर से स्थापित करने की चुनौती है।
असर
दोनों नेताओं के साथ आने का क्या होगा असर?
अगर पवार परिवार फिर से एकजुट होता है तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) फिर से मजबूत राजनीतिक ताकत बनकर उभरेगी।
इसका असर महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक की सियासत पर पड़ेगा।
शरद पवार भले ही INDIA गठबंधन में हैं, लेकिन उनके सभी पार्टियों के आला नेताओं से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में ये भी तय नहीं है कि शरद INDIA में रहेंगे या NDA में जाएंगे, क्योंकि वे कई मौकों पर अलग-अलग संकेत दे चुके हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या असर होगा?
शरद के साथ आने से अजित पवार महाराष्ट्र की सियासत में और मजबूत होंगे। अजित पर अपने चाचा को धोखा देने का दाग भी कुछ हद तक धुल जाएगा।
वहीं, एकनाथ शिंदे को बड़ा नुकसान हो सकता है। अजित-शरद के साथ आने से महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार की शिंदे पर निर्भरता कम होगी।
इसके अलावा ठाकरे परिवार की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। यही वजह है कि उद्धव की शिवसेना ने अजित-शरद की मुलाकात पर रुखी प्रतिक्रिया दी है।
विवाद
अजित ने की थी बगावत
जुलाई, 2023 में अजित ने NCP से बगावत करते हुए तत्कालीन शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था। उनके साथ NCP के 12 विधायक भी थे, जिनमें से 8 को मंत्री बनाया गया और खुद अजित उपमुख्यमंत्री बने।
इसके बाद पार्टी पर अधिकार को लेकर दोनों गुट विधानसभा स्पीकर और चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। चुनाव आयोग ने अजित गुट को असली NCP माना था।
NCP नाम और चुनाव चिन्ह भी अजित के पास है।