शरद पवार गुट को मिला नया नाम, 'NCP शरद चंद्र पवार' नाम से जानी जाएगी पार्टी
क्या है खबर?
चुनाव आयोग से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के शरद पवार गुट को नया नाम मिल गया है। अब ये गुट 'NCP शरद चंद्र पवार' नाम से जाना जाएगा।
शरद पवार के गुट द्वारा प्रस्तावित किए गए 3 नामों में से इस नाम पर आयोग ने मुहर लगाई।
बता दें कि आयोग ने आज शाम 4 बजे तक शरद गुट से अपने नए नाम और चुनाव चिन्ह के विकल्प देने को कहा था।
चुनाव चिन्ह
चुनाव चिन्ह के लिए दिए गए ये सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी चिन्ह के लिए चाय का कप, सूरजमुखी का फूल और उगता सूरज का सुझाव दिया गया है। कुछ रिपोर्ट्स में चश्मे और बरगद के पेड़ को पार्टी चिन्ह बनाने का सुझाव देने की बात भी कही गई है।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद गुट ने नाम के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद चंद्र पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदराव पवार का सुझाव दिया है।
चयन
कैसे चुने गए नाम?
रिपोर्ट के मुताबिक, शरद गुट ने नाम तय करने के लिए वकीलों और पार्टी नेताओं के साथ कई बैठकें कीं।
इस दौरान नेताओं की तरफ से सुझाव दिया गया कि नाम में 'राष्ट्रवादी' या 'शरद पवार' शब्द जरूर होना चाहिए क्योंकि इतने कम समय में मतदाताओं को पूरी तरह से नए नाम के बारे में जागरुक करना मुश्किल होगा।
चिन्ह को लेकर भी इसी तरह के सुझाव कार्यकर्ताओं की ओर से दिए गए।
असली NCP
चुनाव आयोग ने अजित गुट को माना है असली NCP
6 फरवरी को चुनाव आयोग ने अजित पवार के गुट को असली NCP मानते हुए पार्टी का नाम और चिन्ह घड़ी उन्हें सौंप दी थी।
ECI ने विधायकों की अधिक संख्या को देखते हुए अजित खेमे के पक्ष में फैसला सुनाया था।
NCP की लड़ाई को लेकर आयोग ने 6 महीने में 10 सुनवाई की थी। इस दौरान पार्टी का संविधान, नेतृत्व और विधायकों की संख्या जैसे कई पैमानों को ध्यान में रखकर फैसला लिया गया।
मामला
क्या है मामला?
पिछले साल 2 जुलाई को अजित ने NCP से बगावत करते हुए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था। उनके साथ NCP के 12 विधायक भी थे, जिनमें से 8 को मंत्री बनाया गया और खुद अजित उपमुख्यमंत्री बने। बाद में अजित को वित्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली।
इसके बाद से ही अजित और शरद दोनों ने पार्टी पर अधिकार को लेकर दावा किया था, जिसकी लड़ाई ECI से लेकर कोर्ट तक चली गई है।
शिवसेना
शिवसेना में भी सामने आया था इसी तरह का मामला
जून, 2022 में शिवसेना नेता शिंदे ने 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद ठाकरे की सरकार गिर गई थी और शिंदे ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी।
इसके बाद दोनों गुटों में पार्टी पर कब्जे को लेकर लड़ाई चली थी। इस मामले में भी ECI ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को सौंप दिया था।