उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में OBC को आरक्षण देने पर क्यों अड़े हुए हैं योगी आदित्यनाथ?
उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 27 दिसंबर को OBC आरक्षण देने वाले सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हो सकती है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है और सरकार चुनाव में OBC को आरक्षण देने पर क्यों अड़ी हुई है।
क्या है पूरा मामला?
योगी आदित्यानाथ सरकार ने 5 दिसंबर को नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें 17 नगर निगमों में से चार निगमों के मेयर के पदों को OBC के लिए आरक्षित किया था। इसी तरह 200 नगर परिषदों में से 54 और 545 नगर पंचायत में से 147 में चेयरपर्सन के पद को OBC के लिए आरक्षित किया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में इस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था।
क्यों रद्द किया गया था सरकार का फैसला?
नगर निकाय चुनाव में OBC को आरक्षण देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का इस्तेमाल किए बिना आरक्षण दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन करना चाहिए और मुद्दे पर फैसले के लिए एक आयोग गठित करना चाहिए। हाई कोर्ट ने इससे सहमति जताई।
क्या होता है आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला?
सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला के अनुसार, पिछड़े वर्ग को आरक्षण देना है या नहीं, इसका फैसला तीन मानकों पर किया जाता है। इसके तहत देखा जाता है कि पिछड़ा वर्ग की आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति कैसी है, उसे आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं और उसको आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं। सरकार को आरक्षण देते वक्त 50 प्रतिशत की उच्चतम सीमा का ध्यान रखना होता है। इन मुद्दों पर फैसले के लिए आयोग गठित किया जाता है।
OBC को आरक्षण देने पर क्यों अड़े योगी?
हाई कोर्ट के फैसले के बावजूद मुख्यमंत्री योगी OBC को आरक्षण देने पर अड़ गए हैं। उन्होंने एक OBC आयोग का गठन किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के नियमों के आधार पर सर्वे करेगा। योगी ने कहा कि बिना OBC आरक्षण के सरकार चुनाव नहीं करवाएगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश में 42-43 प्रतिशत आबादी OBC है, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती है। भाजपा ने पिछले चुनाव में इनका अच्छा वोट हासिल किया था, जिसे योगी हरगिज नहीं खोना चाहते हैं।
भाजपा की आरक्षण के बहाने 2024 पर भी नजर
योगी सरकार के सुप्रीम कोर्ट का रुख करने और फिर जल्दबाजी में आयोग गठित करने के अन्य कई मायने भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल, चुनाव में OBC आरक्षण के बहाने भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में है। तीसरी बार केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से अधिकांश सीटें जीतनी होंगी। इसके लिए भाजपा को OBC समर्थन की जरूरत पड़ेगी, इसलिए वह मुद्दे पर आक्रामक है।
विपक्षी पार्टियों का क्या कहना है?
OBC आरक्षण रद्द होने के बाद सरकार पर विपक्षों पार्टियों ने पूरा दबाव बना रखा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य में कमजोर तबकों का हक छीना जा रहा है। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि भाजपा की पहले से आरक्षण विरोधी मानसिकता रही है और इस मामले की कमजोर पैरवी हुई है। JDU नेता केसी त्यागी ने OBC आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराने की मांग की है।