ज्ञानवापी मस्जिद का "शिवलिंग" वाला इलाका सील रहेगा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
ज्ञानवापी मस्जिद के जिस इलाके में शिवलिंग जैसी संरचना मिली थी, सुप्रीम कोर्ट ने उसे सील करने और उसकी सुरक्षा करने के अपने आदेश को बढ़ा दिया है। मस्जिद के तालाब में ये संरचना मिली थी और सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को इसे सील करने का आदेश जारी किया था। ये पाबंदी 12 नवंबर को खत्म हो रही थी और हिंदू पक्षों की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इसे जारी रखने का आदेश दिया।
वीडियो सर्वे में मस्जिद के तालाब में मिली थी शिवलिंग जैसी संरचना
वाराणसी की सिविल कोर्ट के आदेश पर मई में कराए गए ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियो सर्वे में इसके तालाब (वजूखाने) में शिवलिंग जैसी संरचना मिली थी। हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग बताया है, जबकि मस्जिद समिति ने इसके फव्वारा होने का दावा किया है। हिंदू पक्ष ने मस्जिद में शेषनाग की आकृति, हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियां, त्रिशूल, डमरू और कमल के अवशेष मिलने का दावा भी किया है। सर्वे खत्म होने के बाद से ही ये इलाका सील है।
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित केस?
पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी जिला कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी की सालभर पूजा करने की इजाजत मांगी है। अभी साल में केवल एक बार पूजा की इजाजत है। उन्होंने मस्जिद में मिली "शिवलिंग" की पूजा करने की इजाजत भी मांगी है। मस्जिद समिति ने इसका विरोध किया है और इसे उपासना स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन बताया है जिसके तहत पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को बदलने पर रोक है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुनवाई कर रही है जिला कोर्ट
बता दें कि वाराणसी की जिला कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले पर सुनवाई कर रही है। 20 मई को सुनाए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था और मस्जिद से संबंधित सभी मामलों को सिविल कोर्ट से जिला कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिला जज को 25 साल का अनुभव है और वो मामले पर सुनवाई करने के काबिल हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित विवाद सदियों पुराना है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल शहंशाह औरंगजेब के निर्देश पर बनाया गया था और इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा गया था। उनका कहना है कि मस्जिद मंदिर की जमीन पर बनी हुई है। दूसरी तरह मस्जिद समिति का कहना है कि मंदिर का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है और ये अलग जमीन पर बनी हुई है।