राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी श्रीहरण समेत 6 हत्यारों को रिहा किया
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की साजिश में शामिल रही नलिनी श्रीहरण समेत छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है। जेल में अच्छे आचरण और तमिलनाडु सरकार की सिफारिश के आधार पर उन्हें रिहा किया गया है। रिहा किए गए दोषियों में नलिनी के अलावा उसका पति मुरुगन, संथन, जयकुमार, रविचंद्रन और रॉबर्ट पायस शामिल हैं। मई में एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को भी इसी आधार पर रिहा किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
सभी छह हत्याओं को रिहा करने का आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल तमिलनाडु सरकार के फैसले से बाध्य हैं जिसने दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल मामले को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते और चूंकि उन्होंने फैसला लेने में देरी की, इसलिए वह दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी कर रहा है। कोर्ट के अनुसार, जेल में सभी दोषियों का आचरण अच्छा रहा।
कांग्रेस ने की फैसले की कड़ी आलोचना
कांग्रेस ने बयान जारी कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की है। संवाद प्रमुख जयराम रमेश की तरफ से जारी किए गए बयान में पार्टी ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाकी हत्यारों को छोड़ने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य और पूर्ण रूप से गलत है। कांग्रेस पार्टी स्पष्ट तौर पर इसकी आलोचना करती है और यह पूरी तरह से स्थिर है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।"
क्या है राजीव गांधी हत्याकांड?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिट्टे के आतंकवादियों ने आत्मघाती हमला कर हत्या कर दी थी। वह यहां एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इसी दौरान लिट्टे की धनु नाम की सदस्य माला पहनाने के बहाने राजीव के पास आई और बम धमाका कर दिया। इस हमलेे में राजीव समेत 18 लोगों की मौत हुई थी। मामले में सात दोषियों को सजा सुनाई गई थी।
फांसी से उम्रकैद में तब्दील कर दी गई थी सभी दोषियों की सजा
इन सभी दोषियों को राजीव गांधी की हत्या की साजिश रचने के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी, हालांकि 2000 में सोनिया गांधी की दखल के बाद नलिनी श्रीहरण की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था। दोषियों की दया याचिका पर देरी से फैसले के कारण सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में बाकी छह आरोपियों की फांसी की सजा को भी कम करके उम्रकैद कर दिया था।
2018 में तमिलनाडु सरकार ने की थी रिहा करने की सिफारिश
2014 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही तमिलनाडु सरकार ने सभी दोषियों को माफी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। 2018 में उसने राज्यपाल से दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल ने 2021 में राष्ट्रपति को भेज दिया।