ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत होना नरसंहार से कम नहीं- इलाहाबाद हाई कोर्ट
क्या है खबर?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को लखनऊ और मेरठ के जिलाधिकारियों को अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण हो रही मौतों की खबरों की पुष्टि का आदेश दिया था।
कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन न मिलने के कारण कोरोना संक्रमितों की मौत आपराधिक कृत्य है और यह नरसंहार से कम नहीं है।
कोर्ट ने इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है। शुक्रवार को मामले की अगली सुनवाई के दौरान यह रिपोर्ट दायर की जाएगी।
सुनवाई
बेंच ने पूछा- लोगों को ऐसे मरने के लिए कैसे छोड़ सकते हैं?
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजित कुमार की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "आज जब मेडिकल साइंस इतनी उन्नत हो गई है कि ब्रेन सर्जरी और हर्ट ट्रांसप्लांट हकीकत बन चुके हैं तब हम लोगों को ऐसे मरने के लिए कैसे छोड़ सकते हैं।"
कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस स्थिति से निपटने के कदम उठाने के लिए आदेश देना जरूरी है। अगली सुनवाई पर दोनों जिलाधिकारियों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है।
टिप्पणी
जनता का उत्पीड़न कर रहे पुलिस और प्रशासन- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऑक्सीजन की कमी की खबरों से पता चलता है कि जिला प्रशासन और पुलिस अपने प्रियजनों की जान बचाने के लिए भीख मांग रही बेचारी जनता का उत्पीड़न कर रह रहे हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में मेरठ और लखनऊ के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत के कारण जान गंवानों वाले लोगों की खबरों को भी शामिल किया है।
सुनवाई
चुनाव आयोग पर भी टिप्पणी
आदेश में कहा गया है कि हकीकत सरकार के दावे के विपरित है।
कोर्ट ने आदेश में उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन लगाने के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि आखिरकार सरकार ने लॉकडाउन के महत्व को समझ लिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी जोड़ा कि अगर पंचायत चुनावों के दौरान ड्यूटी कर रहे अधिकारियों की मौत के मामले में चुनाव आयोग की लापरवाही पाई जाती है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
सुनवाई
मतगणना के दौरान हुआ प्रोटोकॉल का उल्लंघन- कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उसे सूचना मिली है कि पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल और गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ था।
बेंच ने कहा कि मतदान केंद्रों के बाहर लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए थे। इस दौरान चुनाव और पुलिस अधिकारी प्रोटोकॉल को लागू करने में पूरी तरह असफल रहे।
कोर्ट ने आयोग से पूछा है कि अगर प्रोटोकॉल का उल्लंघन पाया जाता है तो वह क्या कार्रवाई करेगा।