राजस्थान संकट: गहलोत, पायलट या भाजपा, कोई भी बहुमत परीक्षण की बात क्यों नहीं कर रहा?
क्या है खबर?
मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा का सत्र बुलाने का तीसरा प्रस्ताव भेजा।
इनमें से एक में भी यह नहीं कहा गया है कि सरकार बहुमत परीक्षण करना चाहती है, जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर विधानसभा बुलाने के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है।
फिर ऐसी क्या वजह है कि बहुमत होने का दावा करने वाली सरकार बहुमत परीक्षण से बच रही है और विपक्षी भी इसकी मांग नहीं कर रहे?
आरोप
कांग्रेस राज्यपाल पर लगा रही है देरी करने का आरोप
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा में सत्र का एजेंडा निर्धारित किया जाएगा और राज्यपाल इस पर सवाल नहीं उठा सकते क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है।
राज्य सरकार का कहना है कि राज्यपाल विधानसभा सत्र शुरू करने में जानबूझकर देरी कर रहे हैं।
कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि अगर राज्यपाल इस बार भी प्रस्ताव खारिज करते हैं तो वह उन्हें हटाने की मांग करेगी।
कांग्रेस
"असल वजह बताने पर बागी विधायकों को समय दे सकते हैं राज्यपाल"
वहीं कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि अगर वो विधानसभा सत्र बुलाने की असली वजह राज्यपाल के सामने रखती है तो इसमें और देरी हो सकती है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस के एक बड़े नेता कहते हैं अगर कारण बताया जाता है तो राज्यपाल और सवाल कर सकते हैं। वो विधायकों को 10-15 दिन का समय देने की बात कह सकते हैं।
उनके मुताबिक, ऐसा करने का कोई कारण नहीं है और यह जरूरी भी नहीं है।
जानकारी
संख्याबल के प्रदर्शन का तरीका मुख्यमंत्री पर निर्भर- कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है कि वो अपने संख्याबल का प्रदर्शन विश्वास मत या किसी दूसरे तरीके से करते हैं। इसके लिए व्हिप भी जारी किया जा सकता है।
पायलट खेमा
सचिन पायलट खेमा क्यों बहुमत परीक्षण नहीं चाहता?
सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायक अयोग्यता से बचने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
विधानसभा का सत्र बुलाए जाने को लेकर पायलट और उनका खेमा अभी तक चुप है।
कांग्रेस ने इन्हें अभी तक पार्टी से बर्खास्त नहीं किया है, ऐसे में ये अगर गहलोत सरकार के खिलाफ वोट देते हैं या व्हिप का उल्लंघन करते हैं तो इनकी विधायकी कुछ ही पलों की मोहताज रहेगी और इन्हें अयोग्य करार दे दिया जाएगा।
सियासी संकट
पायलट खेमे का दावा- मुख्यमंत्री के पास बहुमत नहीं
पायलट खेमा मुख्यमंत्री गहलोत की सरकार के पास बहुमत न होने का दावा कर रहा है। इसका कहना है कि सरकार ने विधानसभा सत्र के एजेंडे में बहुमत परीक्षण शामिल नहीं है।
साथ ही इनका कहना है कि सरकार ने राज्यपाल को उन विधायकों की सूची नहीं सौंपी है, जो सरकार का समर्थन कर रहे हैं।
पायलट खेमे का कहना है कि अगर सूची सौंपी गई है तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा।
राजस्थान
शांति के साथ घटनाक्रम पर नजर बनाए हैं पायलट खेमा
पायलट और उनके समर्थक विधायकों का मानना है कि CPM के दो विधायकों ने सरकार का समर्थन नहीं किया है और BTP के तीन विधायकों को लेकर भी असमंजस की स्थिति है कि वो किस तरह जाएंगे।
साथ ही पायलट खेमा हाई कोर्ट में बसपा के छह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दायर की गई याचिका पर फैसले का भी इंतजार कर रहा है।
ऐसे में यह पूरी शांति के साथ घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है।
राजस्थान
भाजपा भी बहुमत परीक्षण की मांग क्यों नहीं कर रही?
ऐसी स्थिति में आमतौर पर विपक्ष बहुमत परीक्षण की मांग करता है, लेकिन राजस्थान के मामले में भाजपा शांत बैठी है।
भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी, लेकिन उस दौरान बहुमत परीक्षण की मांग नहीं की गई।
भाजपा को उम्मीद है कि अगर यह सियासी संकट लंबा खिंचता है तो गहलोत के कुछ समर्थक विधायक पाला बदल सकते हैं। ऐसे में पार्टी सही मौके का इंतजार कर रही है।