भारत-चीन विवाद: विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने सीमा पर भेजा था प्रतिनिधिमंडल
केंद्र में सरकार चला रही भाजपा ने सीमा पर जारी विवाद को लेकर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। भाजपा ने 20 सैनिकों की शहादत पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर निशाना साधा है। पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस गैर-जिम्मेदार पार्टी है और वह देश और सेना का मनोबल नीचे गिरा रही है। हालांकि, जब भाजपा विपक्ष में थी, तब वह भी कांग्रेस की तरह व्यवहार करती थी।
विपक्ष में रहते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा करती थी भाजपा
2004-2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के समय जब भी ऐसी स्थितियां आईं, विपक्षी पार्टी भाजपा ने सरकार को कठघरे में खड़े करने का कोई मौका नहीं छोड़ा था। UPA सरकार के 10 सालों के दौरान भाजपा ने राजनीतिक प्रस्ताव पास किए, श्वेत पत्र की मांग की, अपने प्रतिनिधिमंडल को सीमा पर भेजा और सरकार की आलोचना करते हुए कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी।
भाजपा के बयानों के विश्लेषण से सामने आईं बातें
इंडियन एक्सप्रेस ने भाजपा की वेबसाइट पर मौजूद उन सालों के प्रेस बयानों का विश्लेषण किया है। इसमें पता चलता है कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने लगभग दो दर्जन बार चीन को लेकर बयान जारी किया और सरकार से सफाई मांगी थी।
भाजपा ने सुरक्षा के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया
जून, 2013 में पणजी में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा ने 'सुरक्षा और स्वाभिमान' पर एक अलग प्रस्ताव पारित किया था। इसमें लिखा गया था, 'दक्षिणी सागर में हमारे मछुआरे मारे जा रहे हैं, सीमा पर सैनिकों के सिर काटे जा रहे हैं, हमारी सीमाओं का उल्लंघन हो रहा है। चीन भी सीमा में 19 किलोमीटर अंदर आकर महीने तक बैठा रहा है। देश की सरकार सिर्फ बयानबाजी कर रही है।'
सरकार से की थी चीन के दावे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की मांग
इसी तरह जून, 2009 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर दावा जताने के मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की मांग की थी। प्रस्ताव में कहा गया था, 'ऐसी खबरें हैं कि लद्दाख के सीमाई इलाकों में चीन ने अतिक्रमण किया है। भाजपा मांग करती है सरकार सीमा पर स्थिति को लेकर देश को भरोसे में ले।'
प्रसाद ने की थी श्वेत पत्र लाने की मांग
मौजूदा केंद्रीय मंत्री और तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने 18 सितंबर, 2009 को बयान जारी कर कहा था चीन की घुसपैठ लगातार बढ़ रही है और यह परेशान करने वाली है। उन्होंने 2008 में 233 बार हुई चीन की घुसपैठ की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार को चीन के साथ रिश्तों पर पड़े प्रभाव, सीमाओं पर भारत की तैयारियों और आधारभूत सरंचना में सुधार और मजबूती आदि पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
भाजपा ने भेजा था प्रतिनिधिमंडल
उस समय मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने सीमा पर चीनी घुसपैठ का जायजा लेने के लिए पार्टी प्रतिनिधिमंडल भेजा था। तत्कालीन भाजपा प्रमुख नितिन गडकरी ने भगत सिंह कोशियारी (महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सीमा पर भेजा था। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य राजीव प्रताप रूडी ने वापस आकर कहा था कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार देश की सीमाओं की सुरक्षा और बचाव में नाकाम साबित हुई है।
प्रसाद ने लगाया था सरकार पर पीछे हटने का आरोप
इससे लगभग एक महीने बाद प्रसाद ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वो चीन के बढ़ते दबाव को दबाने के लिए पीछे हट रही है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस मामले पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की थी।
चीनी राजदूत से मिले थे राजनाथ सिंह
इसके अलावा अब भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चीन यात्रा और लोकसभा सांसद राहुल गांधी के चीनी प्रतिनिधमंडल के साथ बैठक पर सवाल उठा रही है। भाजपा की वेबसाइट के मुताबिक, 26 अक्टूबर, 2009 को तत्कालीन भाजपा प्रमुख राजनाथ सिंह ने चीन के राजदूत झेंग येन के साथ लगभग एक घंटे तक बैठक की थी। बैठक में सिंह ने कहा था कि हालिया घटनाओं ने भारत-चीन के रिश्तों के भरोसे में दरार डाली है।
2011 में चीन गए थे गडकरी
इसके बाद 2010 में चीन के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने नितिन गडकरी से मुलाकात की थी। लगभग पांच महीने बाद जनवरी, 2011 में गडकरी कम्युनिस्ट पार्टी के निमंत्रण पर चीन भी गए थे।