शरद यादव, आरसीपी सिंह और अब ललन; नीतीश कुमार ने अपने इन करीबियों को किया दरकिनार
लोकसभा चुनावों से पहले ही जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। एक बार फिर से पार्टी अध्यक्ष की कमान नीतीश कुमार के हाथ में आ गई है। हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब नीतीश का कोई करीबी नेता इस तरह से JDU में किनारे हो रहा है। आइए जानते हैं आखिर क्यों नीतीश अपने करीबी नेताओं को दरकिनार कर देते हैं।
ताजा मामला क्या है?
दरअसल, आज दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी। इसमें ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। JDU की कमान अब दोबारा नीतीश के हाथ में आ गई है। जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा भी की जा सकती है। बताया जा रहा है कि नीतीश ललन से उनकी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बड़े नेताओं से बढ़ती नजदीकियों के कारण नाराज हैं
ललन से क्यों नाराज हैं नीतीश?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ये ललन ही थे, जिनकी सलाह पर नीतीश ने भाजपा से गठबंधन तोड़ा और RJD से हाथ मिलाया था। तब चर्चा थी कि वे खुद को प्रधानमंत्री के पद के लिए पेश कर सकते हैं, जिसके लिए उन्होंने विपक्षी नेताओं से बातचीत भी शुरू की थी। हालांकि, 19 दिसंबर को INDIA की बैठक में जब प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए उनका नाम नहीं आया तो वह नाराज हो गए।
कभी आरसीपी सिंह के करीबी थे नीतीश
आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी रहे हैं। जब अटल सरकार में नीतीश केंद्रीय मंत्री बने थे तब सिंह और नीतीश के बीच दोस्ती हुई, जो समय के साथ बढ़ती गई। 2010 में सिंह ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और नीतीश ने उन्हें राज्यसभा टिकट दे दिया। 2016 में नीतीश ने उन्हें फिर राज्यसभा भेजा। दिसंबर, 2020 में नीतीश ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद दोनों में नाराजगी का दौरा शुरू हो गया।
सिंह को नीतीश ने क्यों किया किनारे?
2020 में मोदी सरकार जब मंत्रिमंडल का विस्तार कर रही थी तब नीतीश ने सिंह को अधिक पद मांगने का काम सौंपा। अध्यक्ष रहते हुए सिंह ने खुद को मंत्री बनवा लिया, जिससे नीतीश नाराज हो गए और दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। 2021 में नीतीश ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया। नीतीश ने सिंह का राज्यसभा कार्यकाल भी नहीं बढ़ाया, जिससे उनका मंत्री पद भी चला गया। बाद में आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल हो गए।
शरद यादव से भी नीतीश के करीबी रिश्ते
शरद यादव कभी नीतीश के सबसे करीबी थे। 2003 में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय JDU में किया और 2016 तक वह पार्टी अध्यक्ष रहे। नीतीश और शरद के बीच खटास 2013 से पड़ने लगी। जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश NDA से अलग हो गए और शरद ने NDA संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2016 में नीतीश ने शरद को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया।
कई करीबियों से हुआ नीतीश का मोहभंग
जब 2017 में नीतीश फिर से भाजपा के साथ गठबंधन में आए तो शरद को यह बिल्कुल रास नहीं आया। शरद ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके बाद नीतीश ने अपने कद को बनाए रखने के लिए शरद को पार्टी से बाहर निकाल दिया। इसके अलावा जीतन राम मांझी, प्रशांत किशोर, उपेंद्र कुशवाहा और जॉर्ज फर्नांडीस जैसे कई बड़े नेता नीतीश के करीबी रहे, लेकिन किसी न किसी कारण नीतीश के मन से उतर गए।
न्यूजबाइट्स प्लस
बता दें कि 30 अक्टूबर, 2003 को जनता दल, लोक शक्ति और समता पार्टी के विलय से JDU का गठन हुआ था। इस विलय में जनता दल के तीर चिन्ह और समता पार्टी के हरे और सफेद झंडे को मिलाकर चुनाव चिन्ह बनाया गया था।