बिहार: उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के नीतीश की JDU में विलय से किसे क्या फायदा होगा?

बिहार की राजनीति के लिए आज एक बड़ा दिन रहा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) में विलय हो गया। ये कुशवाहा की घर वापसी है और वह RLSP बनाने से पहले JDU में ही हुआ करते थे। आइए आपको बताते हैं कि इस विलय से नीतीश और कुशवाहा को क्या फायदा होगा और इसका बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
कुशवाहा को JDU में वापस लेने के पीछे सबसे अहम वजह अक्टूबर-नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी का खराब प्रदर्शन है। राज्य की सत्ता पर काबिज JDU इस चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी और नीतीश तभी से पार्टी का सामाजिक आधार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वह लव-कुश वोटबैंक को फिर से एकजुट करना चाहते हैं और अपने इसी प्रयास के तहत वह कुशवाहा को वापस लेकर आए हैं।
बिहार में कुर्मी जाति और कोइरी (कुशवाहा) जाति को लव-कुश के तौर पर जाना जाता है। ये जातियां भगवान राम के पुत्र लव (कुर्मी) और कुश (कुशवाहा) के वंशज होने का दावा करती हैं। राज्य की आबादी में लगभग 8 प्रतिशत कुशवाहा और 4 प्रतिशत कुर्मी हैं और 2013 से पहले ये नीतीश के समर्थन में वोट करते थे। लेकिन 2013 में कुशवाहा के अलग पार्टी बनाने से नीतीश के इस वोटबैंक में दरार आ गई और यह बिखर गया।
कुशवाहा के अलग पार्टी बनाने और लव-कुश वोटबैंक के बिखरने के बाद से ही JDU के प्रदर्शन में गिरावट आ रही है और पार्टी के अनुसार, 2020 विधानसभा चुनाव में भी कम से कम 15 सीटों पर उसकी हार के लिए कुशवाहा की पार्टी के उम्मीदवार जिम्मेदार रहे। इसी कारण अब नीतीश इस वोटबैंक को फिर से एकजुट करना चाहते हैं और कुशवाहा इसमें उनकी काफी मदद कर सकते हैं। नीतीश खुद कुर्मी जाति से संबंध रखते हैं।
इसके अलावा विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (JDU) के साथ-साथ अपनी सहयोगी भाजपा के साथ दो-दो हाथ करने में भी कुशवाहा नीतीश के लिए अहम साबित हो सकते हैं। कुशवाहा राज्य की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं और एक अच्छे वक्ता भी हैं। इसके विपरीत JDU में ऐसे नेताओं की बहुत कमी है और नीतीश के उत्तराधिकारी माने जा रहे मौजूदा JDU अध्यक्ष आरसीपी सिंह की भी जनता पर अधिक पकड़ नहीं है।
JDU में विलय से कुशवाहा को होने वाले फायदों की बात करें तो यह जगजाहिर है कि वह मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते हैं और उनका यह सपना JDU और नीतीश ही पूरा कर सकते हैं। उन्होंने भाजपा, RJD और कांग्रेस सबसे साथ हाथ मिलाकर देख लिया है और अब उनके पास अधिक विकल्प भी नहीं बचे थे। बार-बार पाला बदलने के कारण उनकी वोटबैंक भी खिसक रहा था और ये विलय इस प्रक्रिया को रोक सकता है।
अगर इस विलय से नीतीश लव-कुश वोटबैंक को एकजुट करने में कामयाब रहते हैं तो इससे उनकी स्थिति मजबूत होगी और वह भाजपा और RJD से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे। कुशवाहा के मजबूत होने से भी अन्य पार्टियों के समीकरणों पर असर पड़ेगा।