JDU के वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी में भाजपा, बनाई ये खास रणनीति
जनता दल यूनाइटेड (JDU) में चल रही उठापटक के बीच अब भाजपा की नजरें पार्टी के अति-पिछड़ा वोट बैंक पर है। भाजपा ने इसके लिए खास रणनीति बनाते हुए एक समिति का गठन किया है। ये समिति JDU के अति-पिछड़े वर्ग के नेताओं से संपर्क कर उन्हें भाजपा में लाने के प्रयास करेगी। बता दें कि बिहार में 55 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग की है।
समिति में कौन-कौन शामिल?
भाजपा ने इस काम के लिए जो समिति बनाई है, उसमें पार्टी के पूर्व बिहार अध्यक्ष संजय जायसवाल, मंगल पांडे, राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर और नितिन नवीन को शामिल किया गया है। इससे पहले चंद्रवंशी समुदाय से आने वाले पूर्व मंत्री भीम सिंह, सुहेली मेहता और प्रमोद चंद्रवंशी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बिहार के भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी की टीम में भी अति-पिछड़े समुदाय से आने वाले कई लोगों को जगह मिली है।
राज्य में EBC को साधने की रणनीति बना रही भाजपा
भाजपा बिहार में अत्यंत पिछड़े वर्ग (EBC) में आने वाली अलग-अलग उप-जातियों के नेताओं को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। इस वर्ग को साधने के लिए हाल ही में हुई जातिगत जनगणना के बाद नीतीश कुमार ने EBC के लिए आरक्षण 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। भाजपा इसे 30 प्रतिशत करने की वकालत कर रही है। भाजपा उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की रणनीति पर काम कर रही है।
नीतीश बने JDU के अध्यक्ष
कई दिनों से चर्चा थी कि ललन सिंह JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, ललन इन खबरों को भाजपा की साजिश बता रहे थे, लेकिन आज उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया है। अब नीतीश के हाथों में ही JDU की कमान सौंपी गई है। चर्चा थी कि ललन की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ बढ़ती नजदीकियों की वजह से नीतीश उनसे नाराज चल रहे थे।
नीतीश पहले भी रह चुके हैं JDU अध्यक्ष
नीतीश इससे पहले भी JDU के अध्यक्ष रह चुके हैं। 2016 में शरद यादव की जगह नीतीश ने ये पद संभाला था। 2020 में नीतीश ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को JDU की कमान सौंपी। हालांकि, 2022 में आरसीपी सिंह ने बगावत कर दी, इसके बाद ललन को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अब एक बार फिर JDU की कमान नीतीश के हाथों में आ गई है।