भाजपा के लिए महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे का साथ क्यों जरूरी है?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन महायुति गठबंधन मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं कर पा रहा है। भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस सबसे प्रमुख दावेदार हैं। अजित पवार भी इस पर राजी हैं, लेकिन कथित तौर पर एकनाथ शिंदे नाराज बताए जा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री पद और मंत्रिमंडल को लेकर उनकी भाजपा आलाकमान से सहमति नहीं बन पा रही है। आइए जानते हैं शिंदे भाजपा के लिए क्यों जरूरी है।
मराठा समुदाय का मजबूत चेहरा हैं शिंदे
शिंदे महायुति में मराठा समुदाय का सबसे मजबूत चेहरा माने जाते हैं। मराठा आरक्षण के मुद्दे को शिंदे ने जिस तरह संभाला है, उससे उनका कद और बढ़ गया है। मराठों के बीच शिंदे की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। भाजपा को डर है कि शिंदे की नाराजगी से मराठा समुदाय भी दूर खिसक सकता है, जिसका राज्य की करीब 115 विधानसभा सीटों पर बड़ा हस्तक्षेप है। शिंदे के साथ से मराठा आरक्षण का मुद्दा भी सधा हुआ है।
अजित के साथ संतुलन के लिए भी शिंदे जरूरी
अजित पवार जब महायुति में आए थे तो उन्होंने वित्त मंत्रालय जैसा अहम विभाग अपने पास रखा था। हालिया विधानसभा चुनावों में पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रदर्शन ने असली-नकली पार्टी की जंग भी जीत ली है। ऐसे में शिंदे को साथ रखने से भाजपा महायुति के भीतर अजित के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करना चाहती है। अगर शिंदे अलग होते हैं तो सरकार पर पवार का नियंत्रण बढ़ सकता है।
विपक्ष को मिल सकता है मुद्दा
शिंदे के अलग होने की स्थिति में विपक्ष को महायुति को घेरने का मुद्दा मिल जाएगा। विधानसभा चुनाव में 57 सीटें जीतने के बाद एक तरह से शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। ऐसे में शिंदे अलग हुए तो उद्धव गुट भाजपा पर सत्ता के लिए शिंदे का इस्तेमाल करने का आरोप लगा सकता है। इससे मराठा समुदाय भी नाराज हो सकता है। इससे महाराष्ट्र में तोड़-फोड़ की राजनीति भी शुरू हो सकती है।
केंद्र की सरकार पर पड़ सकता है असर
केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में शिंदे की शिवसेना के 7 सांसद हैं। लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा 272 है और फिलहाल NDA में 292 सांसद हैं। अगर शिंदे नाराज होकर सरकार से समर्थन वापस ले लेते हैं तो केंद्र सरकार कमजोर हो सकती है। हालांकि, इसकी संभावना बेहद कम है, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो भाजपा को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के पलटी मारने की चिंता सता सकती है।
श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं बना रही भाजपा?
कथित तौर पर शिंदे ने अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। हालांकि, भाजपा इस पर सहमत नहीं है। श्रीकांत के पास ऐसे ऊंचे पद के लिए जरूरी राजनीतिक अनुभव नहीं है। इसके अलावा भाजपा को डर है कि श्रीकांत को उपमुख्यमंत्री बनाने से पार्टी पर भाई-भतीजावाद के आरोप लग सकते हैं। ये भी कहा जा रहा है कि ऐसा करने से शिंदे के गुट के कई वरिष्ठ नेता नाराज हो सकते हैं।
क्या है शिंदे की मांग?
भाजपा शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद दे रही है, लेकिन वे इस पर राजी नहीं है। शिंदे का मानना है कि मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री का पद लेना एक तरह की गिरावट जैसा है। उन्होंने बेटे श्रीकांत के लिए ये पद मांगा है, लेकिन इस पर भाजपा राजी नहीं है। कथित तौर पर वे गृह, शहरी विकास और सार्वजनिक कार्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय मांगे हैं, जिस पर अभी तक भाजपा ने कोई जवाब नहीं दिया है।