महाराष्ट्र: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ा, फाइलों पर रोक
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना (एकनाथ शिंदे), भाजपा और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के महायुति गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। फ्री प्रेस जनरल के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री पवार एक-दूसरे के विभागों की फाइलों को रोक रहे हैं, जिससे राजनीतिक टकराव बढ़ता दिख रहा है। NCP के मंत्रियों की फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी हुई हैं। बताया जा रहा है कि कुछ फाइलें तो 6 महीने से ज्यादा समय से वहां पड़ी हैं।
पवार ने भी फाइलें बढ़ाने से इंकार किया
रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले शहरी विकास विभाग की फाइल को हस्ताक्षर के लिए पवार के पास भेजा गया। इस पर पवार ने कहा कि उन्होंने फाइल पढ़ी नहीं, इसलिए हस्ताक्षर नहीं कर सकते। बताया जा रहा है कि शिंदे ने इस पर कहा कि उन्होंने भी पवार की कई फाइलों पर बिना पढ़े हस्ताक्षर किए हैं। मुख्यमंत्री के तर्क के बावजूद पवार ने सख्ती से मना कर दिया।
मुख्यमंत्री ने भी फाइलों पर हस्ताक्षर से मना किया
रिपोर्ट के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में पवार का व्यवहार देखकर शिंदे भी नाराज हो गए और उन्होंने भी पवार के कार्यालय की किसी फाइल पर हस्ताक्षर न करने की बात कही। बैठक में लोग इस वाकयुद्ध से हैरान थे। तभी शिंदे के कोटे से स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने कहा कि उनके विभाग की भी कई फाइलें पवार के कार्यालय में अटकी हैं। NCP के भी एक मंंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर इस टकराव की जानकारी दी।
पहले भी हो चुका है मनमुटाव
महाराष्ट्र में यह पहली बार नहीं है, जब शिंदे और पवार के बीच मनमुटाव सबके सामने आया हो। इससे पहले एक कार विनिर्माण परियोजना के समझौता कार्यक्रम के बारे में मुख्यमंत्री शिंदे की ओर से पवार को जानकारी नहीं दी गई थी और न ही उद्योग मंत्री को उसमें शामिल किया गया। इसकी जानकारी एक बैठक में पवार को हुई तो उन्होंने तुरंत शिंदे को फोन कर नाराजगी जताई थी और गठबंधन धर्म याद दिलाया था।
महाराष्ट्र में क्या है गठबंधन की स्थिति
महायुति गठबंधन ने लोकसभा चुनाव 2024 साथ मिलकर लड़ा था और महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में शिंदे की शिवसेना को 7 और पवार की NCP को 1, जबकि भाजपा को 9 सीट मिली थी। महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी तीनों पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती हैं। हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद है। बता दें, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी (MVA) का प्रदर्शन अच्छा था।