राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होने वाले कांग्रेस नेता विक्रमादित्य कौन हैं और इसके क्या मायने?
अयोध्या में सोमवार को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री और कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह भी शामिल हुए। कांग्रेस द्वारा कार्यक्रम का बहिष्कार किए जाने के बावजूद विक्रमादित्य समारोह में शामिल हुए। वे हिमाचल प्रदेश के इकलौते नेता था, जिन्हें समारोह का आधिकारिक निमंत्रण मिला था। आइए जानते हैं कि विक्रमादित्य कौन हैं और इस कदम के क्या मायने हैं।
कौन हैं विक्रमादित्य सिंह?
विक्रमादित्य हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और वर्तमान में राज्य कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे हैं। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की है। इसके बाद वे राजनीति में उतर गए और 2013 से 2017 तक हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 2017 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर शिमला ग्रामीण सीट से पहली बार चुनाव जीता था। 2022 चुनाव में उन्होंने दोबारा जीत दर्ज की और लोक निर्माण मंत्री बनाए गए।
राजघराने से है विक्रमादित्य का संबंध
विक्रमादित्य का संबंध शिमला की बुशहर रियासत से रहा है और वे फिलहाल इसके नामधारी राजा भी हैं। 2019 में उन्होंने मेवाड़ की अमेठ रियासत की राजकुमारी सुदर्शना सिंह से शादी की थी। विक्रमादित्य खेलों में खासी रुचि रखते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है और ट्रैप शूटिंग में कांस्य पदक जीता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रमादित्य के पास 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है।
क्या हैं विक्रमादित्य के समारोह में शामिल होने के मायने?
विश्लेषक विक्रमादित्य के इस कदम को राज्य में कांग्रेस के बीच कलह से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी ने सुखविंदर सिंह सुक्खू पर भरोसा जताया। बाद में चर्चाएं थीं कि विक्रमादित्य को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। माना जाता है कि इसके बाद से ही हिमाचल कांग्रेस 2 धड़ों में बंट गई है।
समारोह में शामिल होने पर क्या बोले विक्रमादित्य?
समारोह का न्योता मिलने के बाद ही विक्रमादित्य ने कहा था कि वे अयोध्या जरूर जाएंगे। उन्होंने कहा था, "राजनीति अपनी जगह और धर्म अपनी जगह। हिमाचल देवभूमि है, जहां परंपराओं का निर्वहन किया जाता है।" उनके इस कदम को मुख्यमंत्री सुक्खू से बगावत के तौर पर देखा जा रहा था। इसके बाद हिमाचल कांग्रेस ने उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया था। हालांकि, इसके बावजूद वे समारोह में शामिल हुए।
विक्रमादित्य कर चुके हैं प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ
इससे पहले विक्रमादित्य तब सुर्खियों में थे, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। दरअसल, सितंबर, 2022 में केंद्र सरकार ने दिल्ली के राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया था। विक्रमादित्य ने इसकी तारीफ करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था, 'राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना एक स्वागत योग्य कदम है। अब ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया है, ऐसे में हर इमारत पर अंग्रेजों के नाम बदले जाने चाहिए।'