EVM से जुड़े सवालों पर बोला चुनाव आयोग- बाहरी एजेंसी तक पहुंच नहीं, प्रक्रिया मजबूत
अगस्त में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन INDIA ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर चिंता व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग (ECI) को पत्र लिखा था। अब ECI ने पत्र में उठाए सवालों का जवाब देते हुए अपने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) को संशोधित किया है। इसमें भारतीय EVM जर्मनी में प्रतिबंधित EVM से कैसे अलग है?, EVM के सॉफ्टवेयर और मेमोरी से जुड़े सवालों के जवाब दिए गए हैं।
EVM के सॉफ्टवेटर संबंधी कामों में बाहरी एजेंसी शामिल नहीं- ECI
ECI की वेबसाइट पर अपलोड किए गए FAQ में 76 प्रश्नों के जवाब शामिल है, जिसमें पहले 39 प्रश्न थे। EVM कंपनियों द्वारा गोपनीय सॉफ्टवेयर को विदेशी चिप निर्माताओं के साथ साझा करने के सवाल पर ECI ने कहा, "माइक्रोकंट्रोलर्स को उच्च स्तर की सुरक्षा और सुरक्षा उपायों के तहत कारखानों के अंदर फर्मवेयर के साथ पोर्ट किया जाता है। माइक्रोकंट्रोलर में प्रोग्राम लोड करने में कोई भी बाहरी एजेंसीशामिल नहीं है।"
VVPAT की सुरक्षा को लेकर क्या बोला ECI?
वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर ECI ने कहा है कि इसमें 2 तरह की मेमोरी स्टोरेज होती हैं। एक में प्रोग्राम निर्देश माइक्रोकंट्रोलर के लिए स्टोर किए जाते हैं, जिसे केवल एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है। एक दूसरी मेमोरी में चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवारों की चुनाव चिन्ह और बाकी जानकारियों स्टोर होती है। इसे उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्टोर किया जाता है।
जर्मनी में प्रतिबंधित EVM से कैसे अलग है भारतीय EVM?
जर्मनी में प्रतिबंधित EVM से भारतीय EVM कितनी अलग है? सवाल का जवाब देते हुए ECI ने कहा कि भारतीय EVM का निर्माण केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा सुरक्षित सुविधाओं में किया जाता है और 3 चरणों में इनका परीक्षण होता है। ECI ने कहा, "भारतीय EVM सुरक्षित हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट ने बार-बार मशीनों की जांच की है और EVM में अपना विश्वास जताया है।"
विपक्ष ने उठाए हैं EVM पर सवाल
विपक्ष पिछले कई सालों से EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है। हाल ही में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने कहा था कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले EVM ठीक नहीं की गई तो भाजपा 400 से ज्यादा सीटें जीत सकती है। इसके अलावा INDIA गठबंधन ने अपनी बैठक में भी EVM के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। हालिया विधानसभा चुनावों के बाद EVM का मुद्दा फिर जोर पकड़ रहा है।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में सबसे पहले EVM का इस्तेमाल 1982 में केरल में पारुर विधानसभा के चुनावों में हुआ था। EVM वोट रिकॉर्ड करने का एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। यह मशीन कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट से मिलकर बनी होती है। कंट्रोल यूनिट चुनाव अधिकारी के पास और बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कंपार्टमेंट में रखी होती है। पहले चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट से बैलेट बटन दबाते हैं, जिसके बाद बैलेट यूनिट पर लगा बटन दबाकर वोट डाला जा सकता है।