बजरंग दल: इतिहास और विवादों पर एक नजर, कांग्रेस ने प्रतिबंध लगाने का किया है वादा
कांग्रेस ने मंगलवार को कर्नाटक चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर भगवान हनुमान का अपमान करने और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। आइए जानते हैं कि बजरंग दल क्या है और इसकी स्थापना किस उद्देश्य से की गई थी।
1984 में हुई थी बजरंग दल की स्थापना
बजरंग दल की स्थापना 8 अक्टूबर, 1984 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुई थी। श्रीराम जानकी रथयात्रा के अयोध्या से प्रस्थान के समय तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा देने से मना कर दिया था, जिसके बाद संतों के आह्वान पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने वहां उपस्थिति युवाओं को यात्रा की सुरक्षा का दायित्व सौंपा था। बजरंग दल ने राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भी अहम और सक्रिय भूमिका निभाई थी।
क्या है बजरंग दल का मुख्य उद्देश्य?
पूर्व लोकसभा और राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता विनय कटियार बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष और पहले राष्ट्रीय संयोजक थे। बजरंग दल का सूत्र वाक्य 'सेवा, सुरक्षा और संस्कृति' है, जिसका मुख्य मकसद लोगों तक हिंदुत्व का संदेश पहुंचाना है। बजरंग दल की स्थापना के समय सिर्फ स्थानीय युवाओं को संगठन में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में बड़ी संख्या में साधु-संत और लोग बजरंग दल से जुड़ते चले गए।
पूरे देश में बजरंग दल के 25 लाख कार्यकर्ता
बजरंग दल देश के लगभग हर हिस्से में सक्रिय है। इसकी विभिन्न इकाई चेन्नई, बेंगलुरू, मुंबई, कर्णावती, भोपाल, जयपुर, दिल्ली, मेरठ, लखनऊ, पटना, कोलकाता, गुवाहाटी समेत अन्य शहरों में है। संगठन मंदिरों की सुरक्षा, गौरक्षा, आंतरिक सुरक्षा आदि को लेकर आंदोलन करता हुआ आया है। बजरंग दल के कार्यकर्ता छुआछूत, बांग्लादेशी घुसपैठ, लव जिहाद समेत अन्य मुद्दों के खिलाफ भी अभियान चलाते हैं। गौरतलब है कि बजरंग दल में 25 लाख से अधिक कार्यकर्ता शामिल हैं।
बजरंग दल ने रामजन्मभूमि आंदोलन में निभाई थी बड़ी भूमिका
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ढांचा तोड़ने वाले कारसेवकों में से करीब 90 प्रतिशत लोग बजरंग दल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए थे। इसके बाद बजरंग दल विशेष रूप से एक ऐसे संगठन के रूप में जनता के सामने उभरा था जो हिंदू समाज के निर्माण के लिए उत्सुकता से प्रतिबद्ध था।
कई सामाजिक कार्यों में भी शामिल है बजरंग दल
बजरंग दल के कार्यकर्ता कई सामाजिक कार्यों में भी शामिल हैं। संगठन एक वर्ष में कई मौकों पर रक्तदान शिविर का आयोजन करता है, जिसमें कार्यकर्ता और लोग रक्तदान करते हैं। वहीं बजरंग दल प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता करने के साथ-साथ वृक्षारोपण, जल संरक्षण, स्वास्थ शिविर समेत अन्य सामाजिक गतिविधियों में भी भूमिका निभाता है। संगठन गरीब वर्ग के लोगों के लिए मुफ्त खाना, दवाइयां और कोचिंग आदि का प्रबंध भी करवाता है।
बंजरग दल से जुड़े रहे हैं कई विवाद
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने 1992 में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन एक साल बाद प्रतिबंध हटा दिया गया था। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर गुजरात दंगों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा करने के आरोप भी लगे थे। वहीं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा वैलेंटाइन्स डे पर प्रेमी जोड़ों को परेशान करने के मामले भी कई बार सामने आते रहे हैं।
कई बार उठ चुकी है बजरंग दल पर प्रतिबंध की मांग
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां समय-समय पर बजरंग दल और VHP पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती आई हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2008 में कर्नाटक और ओडिशा में ईसाईयों के खिलाफ हो रही हिंसा में बजरंग दल का हाथ होने के चलते एक कैबिनेट मीटिंग भी बुलाई थी, जिसमें संगठन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर चर्चा हुई थी। बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) खुद को बजरंग दल से अलग होने की बात कहता रहा है।