कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा, कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) जैसी प्रमुख पार्टियों समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनाव अभियान तेज कर दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी कर्नाटक चुनाव में सभी 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ये तो रही पार्टियों की बात, आइए अब आपको इस चुनाव के प्रमुख मुद्दों के बारे में बताते हैं।
भ्रष्टाचार
कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा है। भाजपा विधायक मदल विरुपाक्षप्पा के बेटे प्रशांत की रिश्वतखोरी मामले में गिरफ्तारी ने सत्तारूढ़ भाजपा को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। इससे पहले भी कांग्रेस विभिन्न घोटालों और ठेकों में कमीशन को लेकर भाजपा सरकार को घेरती आ रही है। हालांकि, भाजपा ने भी पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया के कार्यकाल में कथित आवासीय भूमि घोटाले पर एक रिपोर्ट पेश की है।
आरक्षण
कर्नाटक चुनाव में आरक्षण भी एक प्रमुख मुद्दा है। चुनाव से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) मुसलमानों का 4 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर इसे वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में बांट दिया है, वहीं अनुसूचित जाति (SC) के 101 समुदायों के लिए आंतरिक आरक्षण का ऐलान किया गया है। अन्य समुदाय इसके विरोध में हैं। सरकार ने वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के लिए पिछले साल बेलगावी विधानसभा सत्र के दौरान दो नई आरक्षण श्रेणियां बनाई थीं।
महंगाई
कर्नाटक में महंगाई भी चुनावी मुद्दों में शामिल है। विपक्षी पार्टिया ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर भाजपा सरकार पर दबाव बना रही है। विपक्षी नेता भाजपा सरकार पर टैक्स बढ़ाकर 'लोगों को लूटने' का आरोप लगाते रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुई है और वह अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए सांप्रदायिक मुद्दों को उठाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर विधानसभा चुनावों में हिंदू वोट हथियाने के लिए हिजाब, हलाल, अजान और टीपू सुल्तान जैसे सांप्रदायिक और विवादित मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया है। इन आरोपों पर भाजपा सरकार ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है, जिसके तहत राज्य में 4 प्रतिशत अल्पसंख्यक आरक्षण की व्यवस्था थी। भाजपा ने कहा कि कर्नाटक में तुष्टिकरण की राजनीति को समाप्त करने लिए उसने आरक्षण को बांट दिया है।
क्या रहे थे पिछले चुनाव के नतीजे?
2018 कर्नाटक चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 80 और जनता दल सेक्युलर (JDS) को 37 सीटें मिली थीं। राज्य में एक मनोनीत सीट को मिलाकर कुल 225 विधानसभा सीटें हैं। इस बार भी इन्हीं तीनों पार्टियों के बीच मुकाबला माना जा रहा है। भाजपा की ओर से बीएस येदियुरप्पा और कांग्रेस की तरफ सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार प्रमुख चेहरे हैं। राज्य में 10 मई को 224 सीटों पर मतदान होगा और 13 मई को नतीजे आएंगे।