केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने दिया मोदी कैबिनेट से इस्तीफा, नए कृषि विधेयकों का किया विरोध
सरकार के कृषि अध्यादेशों पर केंद्र की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में फूट पड़ गई है। लोकसभा में भाजपा के पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस मामले में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत मोदी कैबिनेट में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि थीं। दोपहर में अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने विधेयकों का विरोध करते हुए हरसिमरत कौर के इस्तीफा देने की बात कही थी।
हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर दी इस्तीफे की जानकारी
हरसिमरत ने शाम को ट्वीट कर इस्तीफे की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट किया, 'मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। मुझे किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है।'
अध्यादेशों से पड़ेगा 20 लाख किसानों पर असर- सुखबीर
इससे पहले लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा के दौरान सुखबीर बादल ने कहा कि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि इस बिल से 20 लाख किसानों पर असर पड़ेगा। कांग्रेस के आरोप पर उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया।
विधयकों से फिर जाएगा पंजाब सरकार की 50 साल की मेहनत पर पानी- सुखबीर
सुखबीर बादल ने कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पंजाब में सरकारों ने लगातार कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिये कठिन काम किया है, लेकिन ये विधेयक कृषि क्षेत्र में की गई गई उनकी 50 सालों की मेहनत पर पानी फेर देगा। उन्होंने कहा था, "मैं घोषणा करता हूं कि यदि विधेयकों वापस नहीं लिया गया तो हरसिमरत कौर बादल सरकार से इस्तीफा देंगी।"
अकाली दल ने जारी कर रखा है व्हिप
विधेयकों के विरोध में पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। इसको देखते हुए अकाली दल ने इस मामले में अपने सांसदों को व्हिप जारी किया और संसद के मॉनसून सत्र में आने वाले इन विधेयकों के खिलाफ वोट करने को कहा है।
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने भी किया विरोध
लोकसभा में कांग्रेस के अलावा दूसरे विपक्षी दलों ने भी विधेयकों का विरोध किया है। कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि किसानों के लिए काला कानून लाया जा रहा है। इससे किसानों को बचाया जाना चाहिए। RSP के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच इन अध्यादेशों को लाकर सरकार ने कृषि क्षेत्र को बर्बाद करने का प्रयास किया है। उन्होंने विधेयकों को संसदीय स्थाई समिति को भेजने की मांग की है।
हरियाणा और पंजाब में किसान कर रहे हैं खुलकर विरोध
पंजाब और हरियाणा के किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके खिलाफ रास्ता जाम कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को 'कोरोना वायरस से भी बदतर' बताया है। उन्होंने कहा कि यदि इन्हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। पंजाब के किसानों ने चेतावनी दी है कि विधेयकों का समर्थन करने वाले सांसद को गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा।