भारतीय नागरिकता पाने की उम्मीद लगाए हिंदू शरणार्थी परिवार ने बेटी का नाम 'नागरिकता' रखा
क्या है खबर?
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता (संशोधन) बिल से राहत मिली है।
यह बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है। इससे भारत में रह रहे शरणार्थियों को उम्मीद बंधी है कि अब उन्हें नागरिकता मिल जाएगी।
ऐसी ही उम्मीद लगाए बैठे एक परिवार ने राज्यसभा में यह बिल पेश होने से पहले अपनी नवजात बच्ची का नाम 'नागरिकता' रखा है।
आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
नागरिकता (संशोधन) बिल
संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है यह बिल
सोमवार को लोकसभा ने नागरिकता (संशोधन) बिल को पारित कर दिया था। बुधवार को इसे राज्यसभा में पेश किया गया और कई घंटों की बहस के बाद उच्च सदन ने भी इस बिल को हरी झंडी दे दी।
राज्यसभा में अपने भाषण में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नया कानून पड़ोसी देशों द्वारा सताए गए अल्पसंख्यकों को राहत देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि देश के मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है।
उम्मीद
भारतीय नागरिकता पाने की उम्मीद में आरती
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नागरिकता की मां आरती पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद में रहती थीं। वो तीर्थ यात्रा पर भारत आई थीं, और यहीं रुक गईं।
आरती के पति राजौरी गार्डन में मोबाइल कवर बेचने का काम करते हैं। उनकी मासिक आमदनी 5,000 रुपये हैं।
आरती के पास आधार कार्ड है, लेकिन वो भारतीय नागरिक नहीं हैं। उनको अब उम्मीद बंधी है कि वो नए कानून से उन्हें नागरिकता मिल सकेगी।
जानकारी
क्यों रखा गया नागरिकता नाम?
नागरिकता की दादी ने बताया, "लड़की के पैदा होने के बाद से हर कोई नागरिकता का जिक्र कर रहा है इसलिए हमने इसका नाम नागरिकता रखा है। उम्मीद है कि हमें नागरिकता मिल जाएगी। हमने यहां बहुत मुश्किलें झेली हैं।"
धन्यवाद
शरणार्थी परिवारों ने किया सरकार का धन्यवाद
नागरिकता के परिवार के अलावा पाकिस्तान से आए सैंकड़ों परिवार नागरिकता पाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
पाकिस्तान से आए लगभग 750 हिंदू परिवार मजनू का टिल्ला पर रहते हैं। कुछ शरणार्थी रोहिणी सेक्टर 9 और 11, आदर्श नगर और सिग्नेचर ब्रिज के पास रहते हैं।
जाहिर तौर पर बिल पेश होने के पास इन परिवारों को नागरिकता मिलने की उम्मीद है और इसके लिए उन्होंने सरकार का धन्यवाद किया है।