चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सरकार सख्त, दोषियों को मिलेगी पांच से सात साल तक की सजा
क्या है खबर?
नाबालिग बच्चों के साथ बढ़ते यौन अपराध के मामलों पर केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है।
बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए NDA सरकार मौजूदा पॉक्सो एक्ट की धारा 15 को संशोधित करेगी।
प्रस्तावित संशोधन के लागू होने के बाद आरोपियों को पांच से लेकर अधिकतम सात साल तक कैद की सजा दी जाएगी।
संशोधन के प्रारूप को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय से अगले सप्ताह तक मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
कठोर सजा
आरोप साबित होने पर सात साल तक की सजा
कानून और बाल विकास मंत्रालय की मंजूरी के बाद संशोधन प्रारूप को कैबिनेट में पेश किया जाएगा, जिसकी अनुमति के बाद अपराधी को सज़ा देने का रास्ता साफ़ हो जाएगा।
प्रस्तावित सिफारिश में पॉक्सो एक्ट की धारा 15 को नए सिरे से परिभाषित किया गया है और अपराध को प्रवृत्ति के अनुसार तीन वर्गों में बांटा गया है।
बता दें चाइल्ड पोर्नोग्राफी की सामग्रियों को वाट्सएप पर फैलाना भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
संशोधन
क्या हैं पॉक्सो एक्ट की धारा 15?
पॉक्सो एक्ट की धारा 15 के तहत अपराधी को तीन साल की जेल या जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।
नए संशोधन के जरिए कोशिश यह है कि इसके दोषियों को कम से कम पांच साल की सजा मिले।
संशोधन में इस बात का साफ जिक्र है कि यदि कोई व्यक्ति इस अपराध को दोबारा करता है तो उसे सख्त सजा मिलेगी।
दोबारा दोषी करार होने पर व्यक्ति को सात साल तक की कैद की सजा दी जाएगी।
जानकारी
मेनका गांधी सहित PMO है चिंतित
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ते मामलों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय सहित महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी चिंतित हैं। मेनका गांधी पहले भी पॉक्सो एक्ट कानून में बदलाव के लिए आवश्यक पहल की जरूरतों पर जोर देती रही हैं।
आर्थिक दंड
एक हजार से लेकर पांच हजार तक का जुर्माना
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अपराधी अपनी आदत को बदले। लिहाजा संशोधन में जुर्माना राशि और कैद की सजा को भी बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है।
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार पहली बार अपराध साबित होने पर दोषी व्यक्ति पर Rs. 1,000 का जुर्माना, जबकि दोबारा गलती करने पर Rs. 5,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
साथ ही कैद की सजा पांच साल से लेकर अधिकतम सात साल की होगी।
जानकारी
जानिए क्या है पॉक्सो एक्ट
बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों पर रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने साल 2012 में 'लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम' बनाया था।
इस अधिनियम के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामले में कारवाई की जाती है।
यह कानून लड़का और लड़की दोनों को समान रूप से सुरक्षित करता है। इस कानून के अधीन आने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।