कर्नाटक संकट: स्पीकर ने अस्वीकार किए 8 कांग्रेस-JD(S) विधायकों के इस्तीफे, 5 को मिलने बुलाया
कर्नाटक के सियासी नाटक में एक नया मोड़ आया है। विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने इस्तीफा देने वाले कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) के 13 में से 8 विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है। स्पीकर ने इन 8 विधायकों के इस्तीफे को कानूनन तौर पर सही नहीं माना है और उन्हें दोबारा से इस्तीफा सौंपने को कहा है। वहीं, अन्य 5 विधायकों को शुक्रवार और सोमवार को उनसे निजी तौर पर मिलने को कहा है।
स्पीकर ने कहा, "जो निर्णय लूंगा वो इतिहास बनेगा"
इस बीच स्पीकर रमेश कुमार ने कहा, ''किसी भी बागी विधायक ने मुझसे मुलाकात नहीं की। मैंने राज्यपाल को भरोसा दिलाया है कि मैं संविधान के तहत काम करूंगा। मैंने विधायकों को मिलने का वक्त दे दिया है।'' उन्होंने आगे कहा, "मुझे सचेत निर्णय लेना होगा। हर कदम जो मैं उठाऊंगा वो इतिहास बनेगा, इसलिए मैं गलती नहीं कर सकता। भविष्य की पीढ़ियों को मुझे एक आरोपी की तरह नहीं देखना चाहिए।"
गठबंधन को मिला अतिरिक्त समय
स्पीकर के इस फैसले ने कांग्रेस-JD(S) गठबंधन को अपनी सरकार बचाने के लिए अतिरिक्त समय दे दिया है और वह कुछ समय के लिए राहत की सांस ले सकते हैं। इससे पहले आज ही कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धारमैया ने बागी विधायकों को चेतावनी देते हुए इस्तीफा वापस लेने या सदस्यता रद्द होने के लिए तैयार रहने को कहा। कांग्रेस को कुछ विधायकों के वापस आने की उम्मीद है। उन्होंने भाजपा पर सरकार को गिराने का आरोप लगाया है।
गठबंधन के 13 विधायकों के इस्तीफे से शुरू हुआ संकट
बता दें कि शनिवार को कांग्रेस-JD(S) के 13 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद गठबंधन की सरकार पर संकट खड़ा हो गया था। इसके बाद सोमवार को 2 निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस लेकर संकट को और बढ़ा दिया। अब अगर स्पीकर सभी 13 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं तो सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या 104 रह जाएगी और वह बहुमत खो देगी।
ऐसा हुआ तो सरकार बना सकती है भाजपा
13 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा का संख्याबल गिरकर 211 हो जाएगा और बहुमत का आंकड़ा 106 हो होगा। भाजपा के पास राज्य में 105 सीटें हैं, ऐसे में अगर गठबंधन की सरकार गिरती है तो राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उसे सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं। इसके बाद दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन भाजपा सरकार बना सकती है, जिनमें से एक उसे पहले ही समर्थन दे चुका है।