मुंबई: क्या है आरे जंगल में मेट्रो शेड बनाने का विवाद, जो फिर सुर्खियों में आया?
क्या है खबर?
मुंबई के आरे जंगल में मेट्रो कार शेड बनाने का विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनते ही मेट्रो शेड को कांजुरमार्ग से आरे कॉलोनी में शिफ्ट करने का आदेश दिया है।
शिवसेना, पर्यावरण विशेषज्ञों और अन्य एक्टिविस्ट इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
आइए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और आरे में मेट्रो शेड का विरोध क्यों हो रहा है।
आरे जंगल
कहां स्थित है आरे जंगल?
लगभग 1,300 हेक्टेयर में फैला हुआ आरे जंगल उत्तर मुंबई के गोरेगांव में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के बगल में स्थित है।
जंगल में जीव-जंतुओं की लगभग 300 प्रजातियां रहती हैं और एक अनुमान के मुताबिक यहां लगभग पांच लाख पेड़ हैं।
आरे जंगल मुंबई में साफ हवा का सबसे बड़ा जरिया हैं और इसे 'मुंबई का फेफड़ा' भी कहा जाता है।
आरे में 27 छोटे-छोटे गांव भी हैं जिनमें लगभग 8,000 आदिवासी सदियों से रहते आ रहे हैं।
मेट्रो कार शेड
क्या है मेट्रो कार शेड से जुड़ा विवाद?
2014 में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 के लिए कार शेड बनाने का प्रस्ताव लेकर आई थी।
इस कार शेड के लिए जंगल की लगभग 33 हेक्टेयर जमीन से पेड़ काटे जाने थे। जब सरकार इस प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ी तो 2019 में तमाम छात्रों, आम लोगों, बॉलीवुड सितारों और पर्यावरणविदों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया और इसे सतत विकास की अवधारणा के विपरीत बताया।
कोर्ट में मामला
आगे क्या हुआ?
सरकार के उनकी मांगों पर सुनवाई न करने पर छात्र और पर्यावरणविद पेड़ों की कटाई रुकवाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने अक्टूबर, 2021 में उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
इसके बाद प्रशासन ने रात में ही पेड़ों को काटना शुरू कर दिया और महज दो दिन के अंदर 2,100-2,200 पेड़ काट दिए।
इस बीच प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए जिसने पेड़ काटने पर रोक लगा दी, लेकिन तब तक सरकार अधिकांश पेड़ काट चुकी थी।
कारण
आरे में मेट्रो कार शेड के विरोध के क्या कारण हैं?
आरे में मेट्रो शेड बनाने का विरोध कर रहे लोगों की सबसे पहली दलील मुंबई की हवा को लेकर है जिसे अच्छा बनाए रखने में आरे जंगल का महत्वपूर्ण योगदान है।
इसके अलावा लोगों को डर है कि कार शेड बनाने के बाद सरकार धीरे-धीरे निजी बिल्डरों और दूसरे प्रोजेक्ट के लिए भी यहां जमीन देना शुरू कर देगी।
इससे इलाके की परिस्थितिकी और वन्यजीवन पर बुरा असर पड़ेगा और जंगल में रहने वाले जानवरों का ठिकाना उजड़ जाएगा।
जानकारी
पेड़ों को काटे जाने से आदिवासियों को भी नुकसान
इसके अलावा एक चिंता आरे जंगल में रहने वाले आदिवासियों को लेकर भी है। कार शेड का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि ये आदिवासी अपनी सभी जरूरतों के लिए जंगल पर निर्भर है और पेड़ों को काटने से इन्हें बड़ा नुकसान होगा।
उद्धव ठाकरे सरकार
कब आरे से कांजुरमार्ग ले जाया गया मेट्रो शेड?
जब 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के गठबंधन की सरकार बनी तो उसने इन्हीं सब चिंताओं को देखते हुए 29 नवंबर, 2019 को मेट्रो कार शेड को आरे से कांजुरमार्ग शिफ्ट कर दिया।
इसके अलावा उनसे आरे के 800 एकड़ से अधिक क्षेत्र को वन क्षेत्र भी घोषित कर दिया।
अब शिवसेना के बागी खेमे और भाजपा की सरकार बनने पर मेट्रो शेड को फिर से आरे लाया गया है।
दूसरा पक्ष
मेट्रो शेड के समर्थकों का क्या कहना है?
मेट्रो शेड का समर्थन करने वाली भाजपा का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के लिए आरे की 1,300 हेक्टेयर जमीन में से सिर्फ 33 हेक्टेयर की जरूरत है।
उसका कहना है कि भीषण जाम और भीड़ से भरी ट्रेनों वाले मुंबई के लिए मेट्रो बहुत जरूरी है और मेट्रो-3 के लिए कोई कार शेड मौजूद नहीं है।
पार्टी का कहना है कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा और सरकार 20,000 से अधिक पेड़ लगाएगी।