कांग्रेस से सुलह के बाद सचिन पायलट बोले- सैद्धांतिक था विरोध, आत्मसम्मान बचाए रखना चाहता था
पार्टी से सुलह के बाद सोमवार को कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि उनकी लड़ाई सैद्धांतिक थी और उन्हें कभी भी किसी पद की लालसा नहीं थी। उन्होंने कहा कि वह अपना आत्मसम्मान बचाए रखना चाहते थे। इससे पहले भी पायलट साफ कर चुके हैं कि उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से कोई समस्या नहीं है और उनका मुद्दा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काम करने का तरीका है।
कल राहुल और प्रियंका से मिले थे पायलट
पिछले महीने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने वाले सचिन पायलट कल राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिले, जिसके बाद उन्होंने पार्टी से सुलह का ऐलान किया। राहुल और प्रियंका के साथ बैठक में उन्होंने अपने मुद्दे और मांगे रखीं, जिनमें से एक भविष्य में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा है। पायलट और उनके खेमे की शिकायतों के निपटारे के लिए एक तीन सदस्यीय समिति भी बनाई गई है, जिसमें प्रियंका गांधी, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।
बैठक से निकलकर पायलट बोले- सोनिया और राहुल ने की विस्तार से चर्चा
सोमवार शाम को ही प्रियंका, वेणुगोपाल और अहमद पटेल की समिति ने पायलट और उनके खेमे के विधायकों के साथ बैठक की और उनकी शिकायतों को सुना। बैठक से निकलकर रिपोर्टर्स से बात करते हुए पायलट ने कहा, "मुझे खुशी है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विस्तार से चर्चा की। साथी विधायकों की बातों को हमने सामने रखा। मुझे आश्वासित किया गया है कि तीन सदस्यीय समिति जल्द इन तमाम मुद्दों का समाधान करेगी।"
पार्टी हित में मुद्दे उठाना था जरूरी- पायलट
पायलट ने आगे कहा, "हमारे मुद्दे सैद्धांतिक थे। पार्टी हमें पद देती है और इसे वापस भी ले सकती है। मेरा हमेशा से मानना था कि पार्टी के हित में इन मुद्दों को उठाना जरूरी था.. मुझे किसी भी पद की लालसा नहीं है, लेकिन मैं अपने आत्मसम्मान को बचाए रखना चाहता हूं। मैं पार्टी में 18-20 साल से योगदान दे रहा हूं। हमने हमेशा सरकार बनाने में कड़ी मेहनत करने वाले लोगों की साझेदारी सुनिश्चित की है।"
"मुझे लेकर कई चीजें कही गईं, मैंने काफी कुछ सुना"
उन्हें लेकर अशोक गहलोत के तीखे बयानों की तरफ इशारा करते हुए पायलट ने कहा, "कई चीजें कही गईं, मैंने काफी कुछ सुना। कुछ चीजें जो कही गईं, उन्हें सुनकर मैं आश्चर्यचकित था। मुझे लगता है कि हमें संयम और विनम्रता बनाए रखना चाहिए।"
व्यक्तिगत तौर पर हमेशा अशोक गहलोत जी का सम्मान किया- पायलट
गहलोत बोले- राजनीति में कभी-कभी जहर का घूंट पीना पड़ता है
पायलट की पार्टी से सुलह के बाद अशोक गहलोत ने भी अपने खेमे के विधायकों को समझाने का प्रयास किया है। सोमवार को जैसलमेर में अपने समर्थक विधायकों से कहा कि राजनीति में कभी-कभी जहर का घूंट पीना पड़ता है और दिल पर पत्थर रखकर फैसले करने पड़ते हैं। गहलोत ने कहा, "राजनीति में कई बार नहीं चाहते हुए भी कई बातें माननी पड़ती हैं। हमें आलाकमान के फैसले को सम्मान करना है।"
भाजपा ने सरकार गिराने की पूरी कोशिश की- गहलोत
वहीं आज सुबह समाचार एजेंसी से बात करते हुए गहलोत ने कहा, "हमारी पार्टी में शांति और भाईचारा कायम रहेगा। शिकायतों के निपटारे के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। भाजपा ने सरकार को गिराने की पूरी कोशिश की, लेकिन अंत में हमारे सभी विधायक साथ हैं और एक भी हमें छोड़कर नहीं गया है... हमारी पार्टी अपने कार्यकाल के पूरे पांच साल पूरी करेगी और हम अगला चुनाव भी जीतेंगे।"