राजस्थान सियासी संकट: हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे विधानसभा स्पीकर
क्या है खबर?
राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी सचिन पायलट के खेमे को राहत देने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हाई कोर्ट ने स्पीकर से शुक्रवार तक पायलट खेमे के 19 विधायकों की सदस्यता पर कोई फैसला नहीं लेने को कहा है।
जोशी ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है और इससे बचने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।
पृष्ठभूमि
कांग्रेस की शिकायत पर स्पीकर ने जारी किया था नोटिस
व्हिप जारी करने के बावजूद पायलट और उनके खेमे के विधायकों के पार्टी के विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर जोशी से पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पायलट समेत 19 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी।
कांग्रेस की शिकायत पर बागियों को नोटिस जारी करते हुए स्पीकर ने जबाव मांगा था। पायलट खेमा इसके खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गया जो पिछले शुक्रवार से मामले पर सुनवाई कर रहा है।
जानकारी
हाई कोर्ट ने 24 जुलाई तक सुरक्षित रखा फैसला, स्पीकर पर लगाई रोक
सभी पक्षों को सुनने के बाद कल हाई कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा और वह 24 जुलाई को बागियों की याचिका पर फैसला सुनाएगी। कोर्ट ने स्पीकर को तब तक बागियों की सदस्यता पर कोई फैसला नहीं लेने का आदेश दिया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस
स्पीकर बोले- हम संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहे हैं
अब स्पीकर ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है। आज सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट कई फैसलों में ये कह चुका है कि दल-बदल विरोधी मामलों में केवल स्पीकर फैसला ले सकता है। स्पीकर के पास नोटिस भेजने का पूरा अधिकार है। स्पीकर के फैसले के बाद ही इसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है।"
बयान
स्पीकर ने बागियों की याचिका को बताया खतरनाक मिसाल
बागियों की याचिका को एक खतरनाक मिसाल बताते हुए जोशी ने कहा कि इससे राजस्थान में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा, "मैं झगड़ा नहीं चाहता। मैं जजों का सम्मान करता हूं... लेकिन भूमिकाएं अच्छी तरह से परिभाषित हैं।"
बता दें कि कल हाई कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर जोशी दोनों संस्थाओं में आपसी सम्मान के लिए बागियों पर 24 जुलाई तक कोई भी फैसला नहीं लेने को तैयार हो गए थे।
अहमियत
अगर रद्द नहीं हुई सदस्यता तो बहुमत परीक्षण में गिर सकती है गहलोत सरकार
बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होना सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के भविष्य से जुड़ा है। अगर विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो विधानसभा का संख्याबल नीचे आ जाएगा और बहुमत परीक्षण की स्थिति में कांग्रेस आसानी से बहुमत साबित कर देगी।
लेकिन अगर उनकी सदस्यता बरकरार रहती है और उन्हें बहुमत परीक्षण के दौरान वोट डालने का अधिकार मिलता है तो कांग्रेस के लिए अपनी सरकार बचाना बेहद मुश्किल होगा।
राजनीति
गहलोत को बहुमत साबित करने का पूरा विश्वास
पायलट खेमा अपने पास 30 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहा है, हालांकि मौजूदा घटनाक्रम से साफ है कि उसके पास 18 विधायकों का ही समर्थन है।
वहीं, गहलोत ने अपने पक्ष में 103 विधायक होने का दावा किया है और उन्हें 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बहुमत साबित करने का पूरा भरोसा है। इसी कारण वह विधानसभा सत्र बुला बहुमत साबित करना चाहते हैं, ताकि पायलट के और विधायक तोड़ने के खतरे को खत्म किया जा सके।