पहलू खान मामला: आरोपियों के बरी होने के बाद SIT गठित, 15 दिन में देगी रिपोर्ट
पहलू खान हत्याकांड में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद निशाने पर आई राजस्थान सरकार ने इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) के गठन का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेश के बाद गठित SIT इस बात की जांच करेगी कि मामले में हुई जांच मे क्या कमी रही। कहीं इस जांच को प्रभावित तो नहीं किया गया था या जांच करने में कोई लापरवाही बरती गई थी। SIT 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
खान हत्याकांड के सभी आरोपी बरी
बीते बुधवार को राजस्थान की एक अदालत ने खान हत्याकांड मामले में अपना फैसला सुनाया था। इसमें अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला बहरोड़ से अलवर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय में ट्रांसफर किया गया था। सरकारी वकील ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। वहीं बचाव पक्ष ने अदालत के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया था।
प्रियंका गांधी ने फैसले पर जताई थी हैरानी
निचली अदालत के इस फैसले के बाद राजस्थान पुलिस की जांच को लेकर कई सवाल उठे थे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अदालत के इस फैसले पर हैरानी जताई थी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि खान मामले में लोअर कोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है। उन्होंने लिखा कि राजस्थान सरकार द्वारा मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने की पहल सराहनीय है। उम्मीद है खान मामले में न्याय दिलाकर इसका उदाहरण पेश किया जाएगा।
मायावती से साधा था सरकार पर निशाना
निचली अदालत द्वारा मामले के सभी आरोपियों को बरी करने के फैसले के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा, "राजस्थान कांग्रेस सरकार की घोर लापरवाही व निष्क्रियता के कारण बहुचर्चित पहलू खान माब लिंचिंग मामले में सभी 6 आरोपी वहाँ की निचली अदालत से बरी हो गए, यह अतिदुर्भाग्यपूर्ण है। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के मामले में वहाँ की सरकार अगर सतर्क रहती तो क्या यह संभव था, शायद कभी नहीं।"
जांच में बार-बार बदले गए अधिकारी
खान मामले की जांच इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी से शुरू हुई थी। जांच अधिकारी इंस्पेक्टर रमेश सिनसिनवार पर पैसे लेने के आरोप लगे तो DSP परमाल सिंह गुर्जर को इसकी जांच सौंपी गई। उन पर आरोप लगने के बाद ASP रामस्वरूप शर्मा ने जांच की कमान संभाली। इसके बाद सरकार ने क्राइम ब्रांच CID को इस मामले की जांच सौंप दी। CID ने खान को आरोपी बनाकर चार्जशीट दायर की थी। इसके बाद फिर एक और जांच शुरू हुई।
इन वजहों से बरी हुए आरोपी
मामले को सुन रही कोर्ट ने पुलिस जांच में कई तरह की खामियां पाई थीं। कोर्ट ने कहा कि वीडियो की SFL जांच नहीं करवाई है इसलिए इसको सबूत नहीं माना जा सकता। वीडियो बनाने वाले ने वीडियो के बारे में सही-सही जानकारी नहीं दी। कैलाश अस्पताल के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पिटाई की बात स्पष्ट नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की शिनाख्त परेड जेल में नहीं की है, इस लिए गवाहों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
पशु खरीद कर ला रहे खान की कथित गोरक्षकों ने की थी पिटाई
अप्रैल 2017 में 55 साल के खान की अलवर में गोरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। नूंह के रहने वाले खान जयपुर से पशु खरीदकर हरियाणा ला रहे थे। इस दौरान रास्ते में गोरक्षकों की भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। भीड़ ने खान को बुरी तरह पीटा। डेयरी बिजनेस करने वाले खान की हमले के 2 दिन बाद मौत हो गई थी। इस मामले पर खूब राजनीतिक हंगामा भी हुआ था।