विपक्ष के जबरदस्त हंगामे के बीच राज्यसभा से पारित हुए दो कृषि विधेयक
विपक्ष के जबरदस्त विरोध और हंगामे के बीच केंद्र सरकार अपने दो कृषि विधेयकों को राज्यसभा से पारित कराने में कामयाब रही। इन विधेयकों को ध्वनि मत के जरिए पारित किया गया। बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस ने इन बिलों को किसानों का डेथ वारंट बताया, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसे काला कानून बताया। विपक्ष के कई सांसदों ने वेल में पहुंच कर भी बिल का विरोध किया और वे उपसभापति की कुर्सी के पास पहुंच गए।
कृषि मंत्री ने विधेयकों को बताया ऐतिहासिक, कहा- आएंगे क्रांतिकारी बदलाव
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर दोनों कृषि विधेयकों को पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "ये दोनों विधेयक ऐतिहासिक और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। अब किसानों को अपनी फसल किसी भी स्थान पर मनचाही कीमत पर बेचने की स्वतंत्रता होगी।" इन विधेयकों की मदद से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म किए जाने की आशंकाओं पर उन्होंने कहा कि ये विधेयक MSP से संबंधित नहीं हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा- नहीं करेंगे किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर
वहीं विधेयकों का विरोध करते हुए पंजाब से कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, "कांग्रेस पार्टी इन विधेयकों का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये विधेयक उनकी आत्मा पर हमला हैं। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। हम किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।" उन्होंने कहा कि किसान MSP और सरकारी मंडियों में बदलाव के खिलाफ हैं।
TMC सांसद बोले- सरकार की विश्वसनीयता कम
वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयकों का विरोध करते हुए इन्हें सलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है। आपने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होने की बात कही थी। लेकिन मौजूदा हालात में किसानों की आय 2028 से पहले दोगुनी नहीं होगी। ऐसे वादे करने के कारण आपकी विश्वसनीयता कम है।"
इन पार्टियों ने भी किया विधेयकों का विरोध
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने भी विधेयकों को किसानों का डेथ वारंट बताते हुए कहा कि सरकार नहीं चाहती कि विधेयकों पर बहस और वह जल्दी में इन्हें पारित कराना चाहती है। वहीं DMK सांसद टीएसके एलंगेवान ने कहा, "देश की GDP में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले किसान इन विधेयकों के बाद गुलाम बन जाएंगे। ये किसानों का मार कर उन्हें एक वस्तु बना देंगे।" राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज कुमार झा ने भी बिल का विरोध किया।
संजय सिंह बोले- यह एक काला कानून
वहीं AAP सांसद संजय सिंह ने विधेयकों का विरोध करते हुए कहा, "इन विधेयकों के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है। यह एक काला कानून है जिसका मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से विरोध करता हूं। आपने (भाजपा) FDI का जमकर विरोध किया था लेकिन आज आप किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने जा रहे हैं, देश के किसानों की आत्मा को बेचने जा रहे हैंः"
अहमद पटेल ने की विधेयकों की "गधा" से तुलना
अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने भी विधेयकों का विरोध करते हुए इन्हें सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की और कहा कि सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि पंजाब के किसान कमजोर हैं। वहीं कांग्रेस सांसद अहमद पटेल ने कांग्रेस के घोषणापत्र में भी इन विधेयकों से संबंधित वादा किया जाने के आरोपों का जबाव देते हुए कहा, "हमारा मैनिफेस्टो जैसे घोड़ा, लेकिन ये गधे के साथ इन्होंने कम्पेयर करने की कोशिश की है।"
कल भी बहस जारी रखने की मांग न माने जाने पर विपक्ष का हंगामा
सदन की कार्यवाही का समय खत्म होने पर विपक्षी सांसदों ने विधेयकों पर कल भी बहस जारी रखने की मांग भी की, लेकिन जब उपसभापति हरिवंश ने इन मांगों तो नहीं मांगा तो वे में पहुंच कर विरोध करने लगे। इस दौरान TMC सांसद ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रखी रूल बुक उठाकर उन्हें इसे दिखाने की कोशिश भी की और मार्शलों ने उन्हें रोका। कृषि मंत्री विपक्ष के हंगामे के बीच ही अपना जबाव देते रहे।
ये दो विधेयक हुए हैं पारित
आज जो दो विधेयक राज्यसभा से पारित हुए वे कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक हैं। इनमें अनुबंध खेती और सरकारी मंडियों के बाहर व्यापारिक इलाके बनाने के प्रावधान किए गए हैं। दोनों विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं और अब इन्हें अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून बन जाएंगे।