
कृषि बिल मुद्दा: हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद हरियाणा में दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ा
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के तीन कृषि बिलों ने पंजाब और हरियाणा की राजनीति में उबाल ला दिया है और भाजपा के सहयोगी मामले पर घिरते जा रहे हैं। मोदी सरकार में मंत्री रहीं शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद अब हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार चला रहे दुष्यंत चौटाला पर भी ऐसा ही कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है।
कांग्रेस ने मामले में उनकी चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है किसानों से संबंधित इन बिलों का मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) बिल, कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा बिल और आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल लेकर आई है।
देशभर, विशेषकर पंजाब और हरियाणा, के किसान इन बिलों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने से छुटकारा पाना चाहती है और इनसे कृषि क्षेत्र पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा।
असर
किसानों के गुस्से का पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा असर
किसानों के इस गुस्से का असर पंजाब और हरियाणा की राजनीति में सबसे ज्यादा देखने को मिला है जहां किसानों की एक बड़ी आबादी रहती है। कोई भी पार्टी किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती और इसी कारण अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है।
इसके अलावा अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल ने NDA में बने रहने पर विचार करने की बात भी कही है।
सवाल
कांग्रेस ने पूछा- उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा क्यों नहीं देते दुष्यंत
अकाली दल के इस रुख के बाद दुष्यंत चौटाला और उनकी जननायक जनता पार्टी (JJP) पर भी ऐसी ही कोई कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मामले पर कहा, 'दुष्यंत जी, हरसिमरत के इस्तीफे के नाटक को ही दोहरा कर छोटे मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे देते। पद प्यारा है, किसान प्यारे क्यों नहीं? किसान माफ नहीं करेंगे। JJP सरकार की पिछलग्गू बन किसान की खेती-रोटी छीनने के जुर्म की भागीदार है।'
मुलाकात
खट्टर से मिलने पहुंचे दुष्यंत चौटाला
बता दें कि अकाली दल की तरह JJP को भी ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में वोट मिलते हैं और किसान उसके समर्थकों में शामिल हैं। यही कारण है कि उस पर अकाली दल जैसा कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है।
इस बढ़ते दबाव के बीच दुष्यंत चौटाला मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलने पहुंचे हैं। बता दें कि JJP ने अभी तक इन बिलों का विरोध नहीं किया है।
मुश्किलें
किसानों पर लाठीचार्ज ने बढ़ा दी हैं JJP की मुश्किलें
पिछले हफ्ते कुरूक्षेत्र में बिलों का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज की घटना ने JJP की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। इस घटना में कई किसान गंभीर रूप से घायल हुए थे और विपक्ष ने मामले में सरकार पर जमकर निशाना साधा था।
दुष्यंत इस घटना को निंदनीय बता चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद JJP के विधायकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है और उन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है।