कृषि बिल मुद्दा: सुखबीर बादल बोले- NDA में बने रहने पर विचार करेगा अकाली दल
कृषि क्षेत्र से संबंधित केंद्र सरकार के तीन बिलों पर भाजपा और उसके सहयोगी शिरोमणि अकाली दल में तकरार बढ़ती जा रही है। अकाली दल न केवल इन बिलों के विरोध में सरकार से बाहर निकल गया है, बल्कि पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने NDA का हिस्सा बने रहने पर भी विचार करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वे ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं हो सकते जो किसानों के अधिकारों का ध्यान नहीं रखती।
क्या है किसानों से संबंधित इन बिलों का मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) बिल, 2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार बिल, 2020 लेकर आई है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान इन बिलों का जमकर विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है कि इन बिलों के जरिए सरकार मंडियों को खत्म करना चाहती है ताकि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने से छुटकारा पा सके।
किसानों के गुस्से का असर, हरसिमरत कौर ने दिया मंत्री पद से इस्तीफा
किसानों के इस गुस्से का असर भाजपा के सहयोगियों पर देखने को मिला है और पहले इन बिलों का समर्थन करने वाली अकाली दल पिछले हफ्ते से इनका विरोध कर रही है। अकाली दल के इस विरोध के बावजूद जब सरकार ने बिलों को कल लोकसभा में पेश किया तो सरकार में शामिल अकाली दल की एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं उनके पति सुखबीर बादल ने भी लोकसभा में इनका विरोध किया।
सुखबीर बादल बोले- पहले दिन से विरोध कर रही हैं हरसिमरत
लोकसभा से बिल पारित होने के बाद संसद के बाहर NDTV से बात करते हुए सुखबीर बादल ने कहा, "कैबिनेट में अध्यादेश लाए जाने के पहले ही दिन से हरसिमरत कौर इनका सख्त विरोध कर रही हैं और कह रही हैं कि पंजाब के लोगों की इन अध्यादेशों को लेकर चिंताएं हैं। खासकर किसानों से परामर्श लिया जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने इन्हें पारित कर दिया... हमें दुख है कि सरकार ने बिना किसी बदलाव के इन बिलों को पेश किया।"
हमने दो महीने तक सरकार को समझाने की कोशिश की- बादल
बादल ने आगे कहा, "हम ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं हो सकते जो किसानों के अधिकारों का ध्यान नहीं रखती। हमने दो महीने तक सरकार को समझाने की कोशिश की। लेकिन अब चूंकि बिल आ चुके हैं, हम वापस नहीं जा सकते।" शुरूआत में बिलों का समर्थन करने पर उन्होंने कहा, "सरकार के सहयोगी होने के नाते सरकार जो भी सोचती थी, हम वह किसानों को बताते थे। वहीं किसान जो सोचते थे, वह हम सरकार तक पहुंचाते थे।"
NDA के साथ रिश्ते जारी रखने की करेंगे समीक्षा- बादल
NDA के साथ गठबंधन तोड़ने के सवाल पर बादल ने कहा, "हम NDA के संस्थापक सदस्य हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति में हमारी पार्टी बैठक करेगी। हम स्थिति की समीक्षा करेंगे। हमारी पार्टी में एक कोर समिति है जो सभी फैसले लेती है। देखते हैं कि क्या फैसला लिया जाता है।" बता दें कि अकाली दल भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक है और अगर वह उसका साथ छोड़ता है तो यह उसके लिए एक बड़ा झटका होगा।