
#NewsBytesExplainer: केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना, क्या होगा राजनीतिक असर?
क्या है खबर?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बड़े फैसले में जातिगत जनगणना को मंजूरी दे दी है। इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा।
राजनीतिक मामलों की संसदीय समिति (CCPA) की बैठक के दौरान ये फैसला लिया गया है। जनगणना कब होगी, इसके बारे में सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि इसी साल ये शुरू हो सकती है।
जातिगत जनगणना बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है।
आइए जानते हैं इस फैसले का क्या राजनीतिक असर होगा।
मुद्दा
विपक्ष के हाथ से छीन गया बड़ा मुद्दा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई विपक्षी पार्टियां लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं। इनका कहना है कि इससे किस समुदाय के कितने लोग हैं, उसका पता चलेगा और सामाजिक नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी विपक्ष ने इस मुद्दे को खूब उठाया था और सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा किया था।
अब सरकार ने विपक्ष से बड़ा चुनावी मुद्दा छीन लिया है।
बिहार
बिहार चुनावों को देखते हुए घोषणा अहम
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने है। राज्य में जातिगत समीकरण काफी अहम रहे हैं, इस वजह से चुनाव में ये फैसला निर्णायक साबित हो सकता है।
भाजपा को पिछड़े वर्गों में बढ़त मिल सकती है तो वहीं, विपक्ष को रणनीति बदलनी पड़ सकती है।
भाजपा के सहयोगी नीतीश कुमार खुद जातिगत जनगणना की वकालत कर रहे थे, ऐसे में भाजपा-JDU में तालमेल और बढ़ेगा।
भाजपा इस फैसले का इस्तेमाल OBC मतदाताओं को लुभाने के लिए कर सकती है।
भाजपा
भाजपा को फायदा मिलने की संभावना
इस फैसले के बाद परंपरागत रूप से ऊंची जातियों के समर्थन पर निर्भर रहने वाली भाजपा को पिछड़े समुदायों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। वहीं, फैसला ये संकेत देता है कि भाजपा हिंदुत्व के साथ-साथ जातीय मुद्दों को भी हथियाना चाहती है।
इसके बाद बाकी राज्यों में भी जातिगत जनगणना की मांग तेज हो सकती है और आरक्षण की समीक्षा और विस्तार को लेकर नई बहस छिड़ सकती है।
कांग्रेस का 'जाति बताओ' अभियान कमजोर पड़ सकता है।
बयान
फैसले पर किसने-क्या कहा?
लालू यादव ने कहा, "हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला है।"
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "सरकार तो राहुल गांधी पर समाज को जातियों में बांटने का आरोप लगा रही थी तो क्या सरकार अब समाज को जातियों में बांटेगी? जो राहुल गांधी पर जातियों में बांटने का आरोप लगा रहे थे, अब वे इसे मास्टरस्ट्रोक बताएंगे।"
तेजस्वी यादव ने कहा, "यह हमारी 30 साल पुरानी मांग थी। यह हमारी, समाजवादियों और लालू यादव की जीत है।"
सरकार का बयान
अश्विनी वैष्णव बोले- कांग्रेस ने हमेशा से विरोध किया
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "1947 से जाति जनगणना नहीं की गई। कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया। 2010 में दिवंगत डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इसके लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक पार्टियों ने जाति जनगणना की सिफारिश की। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने जाति का सर्वेक्षण या जाति जनगणना कराने का फैसला नहीं किया।"
जातिगत जनगणना
क्या होती है जातिगत जनगणना?
जातिगत जनगणना का अर्थ है, जनगणना में भारत की जनसंख्या का जातिवार सारणीकरण करना है।
भारत में 1952 के बाद से जनगणना में केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) को डाटा सार्वजनिक किया जाता है।
इसके अलावा धर्म, भाषा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति से संबंधित जानकारियां सार्वजनिक की जाती हैं, लेकिन जातिवार जनसंख्या सार्वजनिक नहीं की जाती।
अब इसे ही सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है।