#NewsBytesExplainer: 'एक देश एक चुनाव' पर बनी JPC में कौन-कौन, अब आगे क्या होगा?
'एक देश, एक चुनाव' के मामले पर सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया है। पहले इसमें 31 सदस्य थे, जिनकी संख्या अब बढ़ाकर 39 कर दी गई है। संबंधित विधेयकों को भी JPC के पास भेज दिया गया है। लोकसभा सचिवालय के अनुसार, 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा सांसदों वाली JPC विधेयक की जांच करेगी और अपनी सिफारिश लोकसभा अध्यक्ष को भेजेगी। आइए JPC से जुड़ी सभी बातें जानते हैं।
JPC में कौन-कौन?
समिति में लोकसभा सांसद पीपी चौधरी, सीएम रमेश, बांसुरी स्वराज, पुरुषोत्तम रुपाला, अनुराग ठाकुर, विष्णु दयाल शर्मा, भर्तृहरि महताब, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, बैयजंत पांडा, संजय जायसवाल, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, छोटेलाल, कल्याण बनर्जी, टीएम सेल्वागणपति, हरीश बालयोगी, अनिल देसाई, सुप्रिया सुले, श्रीकांत शिंदे, शांभवी, के राधाकृष्णन, चंदन चौहान और बालाशौरी वल्लभनेनी शामिल हैं। जनता दल यूनाइटेड (JDU) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) का कोई सांसद समिति में नहीं हैं।
किन राज्यसभा सांसदों को मिली जगह?
राज्यसभा से समिति में भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी, भुनेश्वर कलिता, के लक्ष्मण और कविता पाटीदार को जगह मिली है। JDU के संजय झा, कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला और मुकुल वासनिक, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साकेत गोखले, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के पी विल्सन, आम आदमी पार्टी (AAP) के संजय सिंह, बीजू जनता दल (BJD) के मानस रंजन मंगराज और YSR कांग्रेस के वी विजय साई रेड्डी को शामिल किया गया है।
क्या काम करेगी समिति?
समिति 2 विधेयकों का परीक्षण करेगी, जिनमें 'एक देश एक चुनाव' विधेयक और एक संविधान संशोधन विधेयक शामिल है। समिति सभी पार्टियों के साथ चर्चा करेगी और उनके सुझाव लेकर प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति बनाने की कोशिश करेगी। समिति के सभी सदस्य भी अपनी राय देंगे। उसके बाद समिति रिपोर्ट तैयार करे लोकसभा स्पीकर को सौंपेगी। हालांकि, सरकार इन सलाहों को पूरी तरह से मानने के लिए बाध्य नहीं है।
रिपोर्ट सौंपने के बाद आगे क्या होगा?
JPC के रिपोर्ट सौंपने के बाद स्पीकर निर्णय लेंगे कि रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा जाए या नहीं। अगर रिपोर्ट पटल पर रखी जाती है तो इस पर चर्चा की जा सकती है। इसके बाद सरकार विधेयकों को सदन से पास कराएगी। अगर समिति ने विधेयक में संशोधन की सिफारिश की है तो संशोधित विधेयक पेश किया जा सकता है। अगर सरकार समिति की सिफारिश स्वीकार नहीं करती है तो पुराना विधेयक ही पेश होगा।
विधेयक पारित करवाना बड़ी चुनौती
चूंकि ये संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए लोकसभा और राज्यसभा में इन्हें विशेष बहुमत से पारित करवाना होगा। विधेयक को पारित होने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई का बहुमत जरूरी है। इसके अलावा 15 राज्यों की विधानसभा से भी विधेयक को पारित करवाना जरूरी है। फिलहाल के संख्याबल के लिहाज से बिना विपक्ष के समर्थन से ये विधेयक पारित नहीं हो सकते।
क्या है 'एक देश, एक चुनाव'?
फिलहाल लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव अलग-अलग होता है। 'एक देश, एक चुनाव' से आशय लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में भी साथ चुनाव हुए थे, लेकिन 1968-69 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग हो गई, जिससे साथ चुनाव की परंपरा टूट गई। इस मुद्दे पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी।