झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को क्यों मिली हार? उम्मीदवारों ने बताए ये बड़े कारण
झारखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी है। पार्टी राज्य की 81 सीटों में से केवल 21 ही जीतने में सफल रही है। इसके विपरीत INDIA गठबंधन ने 56 सीटें जीतकर दोबारा से सत्ता हासिल कर ली। इस हार के बाद भाजपा नेताओं ने गत शनिवार को रांची में पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर हार के कारणों की समीक्षा की, जिसमें कई प्रमुख कारण सामने आए। ऐसे में आइए उन सभी कारणों पर नजर डालते हैं।
झारखंड में किस दल को मिली कितनी सीटें?
झारखंड में INDIA गठबंधन में शामिल JMM ने 34, कांग्रेस ने 16, RJD ने 4 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस तरह INDIA को 56 सीटें मिलीं। इसी तरह विपक्ष में भाजपा ने 21 और उसकी सहयोगी पार्टियों ने 3 सीटें जीती हैं। भाजपा को 2019 की तुलना में 4 सीटें कम मिली हैं। बता दें कि झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है।
बैठक में कौन-कौन शामिल हुआ?
विधानसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पार्टी की चुनाव प्रबंधन समिति और सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों सहित अन्य नेता शामिल हुए।
बांग्लादेशी घुसपैठ की कहानी पर हावी हुए अन्य मुद्दे
बैठक में अधिकतर नेताओं ने कहा कि भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ा था, लेकिन यह मुद्दा संथाल परगना क्षेत्र की 18 सीटों तक ही सीमित रहा। इसी तरह पार्टी ने राज्य के अन्य 4 क्षेत्रों में अन्य स्थानीय मुद्दों पर ज्यादा फोकस नहीं किया। इसके उलट, JMM और JLKM ने अपने अभियान को आदिवासी पहचान पर केंद्रित किया और सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने की बात कही। इससे उन्हें मजबूती मिली।
विपक्ष की लोक लुभावनी घोषणाएं
बैठक में यह भी सामने आया कि भाजपा की हार में विपक्ष की कई लोक लुभावन योजनाओं की घोषणा ने भी अहम भूमिका निभाई है। JMM ने 'मैया सम्मान योजना' और बकाया बिजली बिल माफ करने की घोषणा की थी। इसने लोगों को उनकी ओर आकर्षित किया। इसके विपरीत भाजपा की 'गोगा दीदी योजना' की घोषणा महिलाओं को नहीं लुभा सकी क्योंकि 'मैया सम्मान योजना' में महिलाओं को पहले ही हर महीने 1,000 रुपये मिल रहे थे।
राष्ट्रीय नेताओं पर निर्भरता और आंतरिक कलह भी बना जिम्मेदार
बैठक में भाजपा की हार के अन्य बड़े कारणों में राष्ट्रीय नेताओं पर अत्यधिक निर्भरता और आंतरिक कलह की बात भी सामने आई। कई नेताओं ने कहा कि भाजपा ने अधिकतर फैसले राष्ट्रीय स्तर पर किए जाते हैं। ऐसे में लोगों को पार्टी के वादों के पूरा होने पर भरोसा नहीं हो सका। इसी तरह चुनाव से पहले पार्टी से बागी हुए नेता और विरोधी दलों के नेताओं का पार्टी में आना भी हार का अहम कारण रहा है।
भाजपा में रही युवा आदिवासी और OBC नेताओं की कमी
बैठक में भाजपा में युवा आदिवासी और OBC नेताओं की कमी को भी हार का कारण बताया गया। भाजपा उम्मीदवारों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, गांडेय विधायक उनकी पत्नी कल्पना और जयराम महतो की चुनौती का मुकाबला करने के लिए नए और युवा आदिवासी और OBC नेताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड ने हमेशा युवा नेताओं पर भरोसा जताया है। जयराम को भाजपा ने कम करके आंका है।
झारखंड से बाहर के नेताओं पर अधिक भरोसा
बैठक में एक भाजपा नेता ने कहा कि चुनाव में जब राज्य के आदिवासी और OBC सोरेन और महतो की ओर झुक रहे थे तब भाजपा ने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए राज्य से बाहर के नेताओं पर भरोसा किया। उन्होंने कहा कि झारखंडी पहचान को सबसे ज्यादा महत्व देने वाले राज्य के लोगों को पार्टी का यह निर्णय पसंद नहीं आया और उन्होंने चुनाव में विरोधी वोट देकर यह साबित भी कर दिया।