कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान पर बोले SAD प्रमुख- भाजपा के साथ नहीं करेंगे गठबंधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यानी गुरु नानक देव की 552वीं जयंती पर देश के नाम संबोधन करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के खत्म होने का रास्ता भी खुल गया। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी इस फैसले पर खुशी जताई है, लेकिन उन्होंने भविष्य में भाजपा से दोबारा गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह किया था कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान
प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था, "हमारी सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए सत्यनिष्ठा से कानून लेकर आई थी, लेकिन यह बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।" उन्होंने कहा था, "29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।" उस दौरान उन्होंने किसानों से फिर से घरों को लौटने की अपील भी की थी।
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"हमने जो कहा था वह सच हो गया"
कृषि कानूनों की वापसी पर प्रतिक्रिया देते हुए SAD प्रमुख बादल ने कहा, "700 जान चली गई, शहादतें हो गई है। यही बात हमने संसद में प्रधानमंत्री जी से कहा था कि जो आपने काले कानून बनाए हैं ये देश के किसान नहीं मानते हैं। आप कानून लेकर मत आओ। जो हमने कहा था वह सच हो गया है।" इस दौरान जब उनसे पंजाब में भाजपा से दोबारा गठबंधन किए जाने का सवाल किया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया।
प्रकाश सिंह बादल ने साधा सरकार पर निशाना
इससे पहले सुबह SAD संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने कहा था, "जब मैं पंजाब, देश और दुनिया के किसानों को बधाई देता हूं, मेरा पहला विचार नेक संघर्ष में शहीद हुए 700 किसानों के परिवारों के लिए जाता है! यह और लखीमपुर खीरी जैसी शर्मनाक घटनाएं इस सरकार के चेहरे पर हमेशा एक काला धब्बा बनी रहेंगी।" उन्होंने कहा, "लोकतांत्रिक सरकार के इतिहास में यह पहली बार है जब हितधारकों को शामिल किए बिना क्रूर कानून बनाए गए थे।"
हरसिमरत कौर ने MSP पर की कानून बनाने की मांग
पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने ट्वीट किया, 'हमें श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर कृषि कानूनों के निरस्त होने से उनका अपार आशीर्वाद मिला है। यह उन किसानों की जीत है, जिन्होंने खराब मौसम, दमन और बेइज्जती का सामना किया, लेकिन मजबूती से खड़े रहे। मैं उन 700 किसानों को सलाम करती हूं जिन्होंने इसके लिए अपने प्राणों की आहुति दी।' उन्होंने न्यूनतम समर्थमन मूल्य (MSP) पर भी कानून बनाने की मांग की।
SAD ने सितंबर 2020 में तोड़ा था NDA से गठबंधन
बता दें कि भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी SAD ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर सितंबर 2020 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) से 24 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। उस दौरान सुखबीर सिंह बादल ने कृषि कानूनों को किसानों के लिए घातक और विनाशकारी बताया था। उससे पहले हरसिमरत कौर ने भी इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उसे बाद से ही दोनों दलों के बीच दूरियां बढ़ गई थी।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद बनी थी दोबारा गठबंधन होने की उम्मीद
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करने के बाद पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और SAD के बीच दोबारा गठबंधन की उम्मीद जगी थी, लेकिन SAD प्रमुख ने सारी संभावनों को खत्म कर दिया।