किसान आंदोलन में बहनों और बेटियों की इज्जत लूटी गई, हत्याएं हो रही हैं- खट्टर
क्या है खबर?
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज आंदोलनकारी किसानों को चुनौती देते हुए कहा कि मामले में राजनीतिक नेता संयम दिखा रहे हैं, लेकिन अगर किसी ने अपनी सीमा पार की तो अच्छा नहीं होगा।
उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान महिलाओं के रेप होने का आरोप भी लगाया और कहा कि ऐसी घटनाओं से किसान शब्द की मर्यादा कम हुई है।
उन्होंने कहा कि आंदोलन में हिंसा हुई तो FIR भी होगी और कोर्ट का नोटिस भी जाएगा।
बयान
पवित्र होता है किसान शब्द, लेकिन छवि धूमिल हुई- खट्टर
मीडिया से बात करते हुए खट्टर ने कहा, "किसान शब्द बहुत पवित्र है और सब इसे बहुत सम्मान देते हैं। कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की वजह से इस शब्द को नुकसान पहुंचा है। बहनों और बेटियों की इज्जत लूटी गई, हत्याएं हो रही हैं, सड़कें जाम की जा रही हैं। मैं इन सभी गतिविधियों की निंदा करता हूं जो अलोकतांत्रिक हैं।"
उन्होंने कहा, "जब उन्होंने अपनी सीमा पार कर दी तो हमें लिखित में मांगना पड़ा कि उनका प्रदर्शन अहिंसक होगा।"
बयान
खट्टर बोले- हमें उकसाया जा रहा, लेकिन हम संयम रख रहे
गांवों में भाजपा नेताओं को जबरदस्त विरोध का सामना करने के सवाल पर खट्टर ने कहा कि जनता से मिलना सरकार चला रहे लोगों की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, "हमने संयम बरकरार रखा है लेकिन वे हमें धमकी देते रहते हैं कि गांवों में मुख्यमंत्री नहीं आ सकते, उपमुख्यमंत्री नहीं आ सकते। वे हमें कितना भी उकसाए, हम अपना संयम रख रहे हैं क्योंकि वे हमारे ही लोग हैं। लेकिन सीमा पार करना किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा।"
टकराव
आज ही गाजीपुर बॉर्डर पर हुई किसानों और भाजपा कार्यकर्ताओं की भिड़ंत
बता दें कि किसान आंदोलन पर खट्टर का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब आज ही उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच भिड़ंत हुई।
इस लड़ाई में लात-घूसों से लेकर डंडे तक चले और कई लोगों को चोटें आईं।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनकारियों पर अपने नेता की गाड़ी तोड़ने का आरोप लगाया है, वहीं किसानों ने कहा है कि आंदोलन को बदनाम करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुद गाड़ी तोड़ी।
किसान आंदोलन
सात महीने से चल रहा है किसान आंदोलन
गौरतलब है कि किसान पिछले साल नवंबर से केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के आसपास धरने पर बैठे हुए हैं। इन धरना स्थलों में गाजीपुर के अलावा टिकरी और सिंघू बॉर्डर सबसे अहम हैं।
किसानों के आंदोलन को खत्म करने के सरकार के अब तक के सभी प्रयास असफल रहे हैं और उनके बीच चली कई दौर की वार्ता भी असफल रही है। किसान नेताओं ने 2024 तक आंदोेलन चलाने की बात कही है।
कृषि कानून
क्या हैं विवादित कृषि कानून?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।